अटल बिहारी वाजपेयी पर हिन्दी निबंध | Atal Bihari Vajpayee Essay

 

 अटल बिहारी वाजपेयी पर हिन्दी निबंध | Atal Bihari Vajpayee Essay 

नमस्कार  दोस्तों आज हम अटल बिहारी वाजपेयी इस विषय पर निबंध जानेंगे।प्रस्तावना-भारत की संस्कृति भारत की पहचान है। भारतीय संस्कृति की रक्षा ऋषियों से लेकर जन, महाजन (बड़े लोगों) तक ने की है। स्वतन्त्र भारत में यह कार्य राजनेताओं समाज-सुधारकों द्वारा किया गया है।


महात्मा गाँधी, इन्दिरा गाँधी, राजीव गाँधी, पण्डित नेहरू, मौलाना आजाद, अम्बेडकर आदि अनेक महापुरुषों ने भारत को स्वाधीन कराने, भारत को एक प्रगतिशील राष्ट्र बनाने तथा भारतीय संस्कृति की रक्षा करने की दृष्टि से अपना अमूल्य योगदान दिया है। इन्हीं महापुरुषों में एक हैं-श्री अटल बिहारी वाजपेयी (प्रधानमंत्री भारत सरकार)।


श्री अटल बिहारी वाजपेयी आधुनिक युग के राजनेताओं में नैतिक एवं चरित्रवान हैं। स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, सर्वश्रेष्ठ सांसद, पद्मश्री, कवि हृदय श्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय संस्कृति की प्रतिमूर्ति हैं।जीवन-परिचय-श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर, 1926 को ग्वालियर (म० प्र०) में हुआ था।


 श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने शिक्षा विक्टोरिया कॉलेज, ग्वालियर (म० प्र०) तथा डी०ए०वी० कॉलेज, कानपुर (उ० प्र०) में प्राप्त की थी।आपके पिताश्री शिक्षक थे। आपने एम०ए०, एल०एल०बी० तक शिक्षा प्राप्त की है। अटल बिहारी वाजपेयी जी विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति में रुचि रखते थे। ये अपने कॉलेज में छात्र परिषद् के अध्यक्ष रह चुके हैं।


श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को आरम्भ से ही कवितायें लिखने का शौक है। आपकी भाषण शैली अति उत्तम है, जिसको आपने अपने पिताश्री से सीखा है। श्री अटल विहारी वाजपेयी राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत हैं। वे राष्ट्र की संस्कृति की कीमत पर कोई समझौता नहीं करना चाहते । 


सन् 1941 ई० में इन्होंने संघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की सदस्यता ग्रहण की थी। अगस्त क्रान्ति के समय सन् 1942 ई० में अंग्रेजों ने आपको बन्दी बनाया। सन् 1956 में जनसंघ सचिव नियुक्त हुए। ये जनसंघ के अध्यक्ष भी बनाये गये।

श्री अटल बिहारी वाजपेयी सन 1957 से 1996 तक लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। 1982-86 में राज्य सभा के सदस्य चुने गये। श्री अटल बिहारी वाजपेयी को 1962 में 3 स्थानों से लोकसभा चुनावों में पराजय मिली थी, किन्तु 1996 में ये दो स्थानों से विजयी हुए। अटल जी शत्रु का भी सम्मान करते हैं।


श्रीमती इन्दिरा गाँधी को सन् 1971 (भारत-पाक युद्ध) में विजयश्री का वरण करने पर 'दुर्गा' कहा था। आपातकाल के समय सन् 1977 ई० में अटल जी भारत के बन्दीगृह को सुशोभित कर चुके हैं। मोरारजी देसाई काल में आप विदेश मन्त्री रह चुके हैं।


वाजपेयी प्रथम बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में-16-5-1996 को श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रथम बार एक सादा समारोह में राष्ट्रपति भवन में प्रधानमन्त्री पद की शपथ ग्रहण की तथा 11 सदस्यीय मन्त्रिमण्डल ने भी शपथ ग्रहण की थी। 

इनके मन्त्रिमण्डल में सिकन्दर बख्त, प्रमोद महाजन, डॉ० मुरली मनोहर जोशी, राम जेठ-मलानी, सुषमा स्वराज, जसवन्त सिंह, सूरजपाल, सुरेश प्रभाकर प्रभु, करिया मुण्डा, विनीत, धनंजय कुमार तथा सरताज सिंह थे।


महामहिम राष्ट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा ने लोकसभा के सबसे बड़े दल के नेता को आमन्त्रित कर शपथ ग्रहण करायी। भारत के राष्ट्रपति ने इन्हें (श्री वाजपेयी को) 15-5-1996 को सरकार बनाने के लिए आमन्त्रित किया था। इन्होंने 28-5-1996 को ही सदन में अपना बहुमत न जुटा पाने के कारण प्रधानमन्त्री पद से त्याग-पत्र दे दिया था और कहा था कि मैं तब तक शान्ति से नहीं बैलूंगा जब तक भाजपा की सरकार को पुनः सत्तासीन नहीं करा दूंगा।


भाजपा सरकार के अध्यक्ष (प्रधानमंत्री) के नाते 1996 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने यह घोषणा की थी कि मेरी सरकार कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेगी जिससे भारत की छवि धूमिल हो। शासन-प्रशासन सत्य मार्ग पर चलेंगे। भारत की विधि अपना कार्य करेगी।


भारत देश की संस्कृति को अक्षुण्ण रखने का प्रयास किया जायेगा। परमाणु बम बनाया जायेगा। इतिहास को शुद्ध किया जायेगा। मेरी सरकार अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करेगी। विपक्ष के प्रति कोई बदले की भावना नहीं रखेगी।


दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में-बारहवीं लोकसभा के लिए हुए निर्वाचन के उपरान्त 15 मार्च, 1998 की रात्रि को भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय जनता पार्टी के संसदीय दल के नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त कर दिया तथा सदन में अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए दस दिन का समय दिया। 


19 मार्च को राष्ट्रपति भवन के बाहरी लॉन ‘फोर कोर्ट' में श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा गठबन्धन की सरकार ने शपथ ग्रहण की। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 21 राज्य स्तर के तथा 21 कैबिनेट स्तर के, अन्य 42 मन्त्रियों ने भी शपथ ग्रहण की।


इस गठबन्धन सरकार में समता पार्टी, अन्नाद्रमुक, शिरोमणि अकालीदल, तृणमूल कांग्रेस तथा हरियाणा विकास पार्टी सहित 13 पार्टियाँ सम्मिलित हैं। कुछ निर्दलीय भी सरकार का समर्थन कर रहे थे, जिनमें बूटा सिंह और मेनका गाँधी प्रमुख थे।


28 मार्च, 1999 की रात्रि को लोकसभा में हुई दो दिन की बहस के उपरान्त, सरकार ने विश्वास मत भी प्राप्त कर लिया। प्रस्ताव के पक्ष में 274 और विपक्ष में 261 मत पड़े। इस प्रकार श्री अटल बिहारी वाजपेयी एक बार पुनः भारत के प्रधानमंत्री के रूप में भारत का नेतृत्व कर चुके हैं।


18 मार्च, 1998 को श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भाजपा तथा सहयोगी दलों की गठबन्धन सरकार का 'राष्ट्रीय एजेंडा' के अन्तर्गत धर्म-निरपेक्षता की नीति अपनाने, संविधान की समीक्षा से सम्बन्धित आयोग का गठन करने, लोकपाल एवं महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् का गठन करने, चुनाव कानूनों में आवश्यक सुधार करने, राष्ट्रीय न्यायिक आयोग का गठन करने तथा प्रत्येक राज्य के लिए पिछड़ा क्षेत्र विकास आयोग गठित करने की घोषणा की।


22 मार्च, 1998 को राष्ट्र के नाम प्रसारित सन्देश में श्री वाजपेयी ने सदन में आने वाले सभी नव-निर्वाचित, सांसदों से अपील की कि देश के कोटि-कोटि मतदाताओं ने उनमें अपना जो विश्वास व्यक्त किया है, उसके सन्दर्भ में वे यह प्रयास करें कि यह संसद उनकी आकांक्षाओं और विश्वास पर खरी उतरी। 


उन्होंने सभी वर्गों से यह अपील की कि वे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और देश के लिए बढ़ रही चुनौतियों का एकजुट होकर मुकाबला करने के लिए आम सहमति का दृष्टिकोण अपनाएँ। तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में एक बार सहस्त्राब्दी के अन्तिम चरण में वह सुबह आयी जब श्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत का तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। 


13वीं लोकसभा के चुनाव सम्पन्न होने के बाद, 10 अक्टूबर, 1999 को 21 पार्टियों वाले राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन के नेताओं ने 75 वर्षीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपना नेता चुनने की घोषणा की तथा 13 अक्टूबर को श्री वाजपेयी को भारत के 14वें प्रधानमन्त्री के रूप में राष्ट्रपति श्री के०आर० नारायणन ने शपथ दिलाई।


प्रधानमन्त्री के साथ 25 कैबिनेट मन्त्री, 17 स्वतन्त्र प्रभार वाले राज्य मन्त्रियों और 37 सज्य मन्त्रियों के साथ शपथ दिलाई गयी। इस गठबन्धन सरकार में 25 कैबिनेट मन्त्रियों में 14 भा०जपा०, 4 जनता दल (यूनाईटेड), 3 शिव सेना, 2 द्रमुक, 1-1 बीजू जनता दल व तृणामूल कांग्रेस के मन्त्री बनाये गये। इस मन्त्रिण्डल में 10 स्थान महिलाओं को दिये गये हैं।


उपसंहार-श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद आर्थिक, शेक्षिक, राजनीतिक, सामाजिक आदि विभिन्न क्षेत्रों में अभिनव परिवर्तन एवं प्रगति के दृष्टिकोण से अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। विशेषकर परमाणु परीक्षण के क्षेत्र में, देश को उनके नेतृत्व में ही ऐतिहासिक सफलता प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ है। 


15 अगस्त, 1998 को स्वतन्त्रता की 51वीं वर्षगाँठ पर लाल किले की प्राचीर से पहली बार राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए श्री अटल विहारी वाजपेयी ने राष्ट्र के प्रति अपने समर्पण, निष्ठा एवं संकल्प को दोहराते हुए यह स्पष्ट किया कि वे अपने देश की प्रगति के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहेंगे और सत्ता में बने रहने के लिए उनकी सरकार किसी भी दबाव के सामने नहीं झुकेगी।



सत्ता के लिए राष्ट्रहित को विस्मृत कर देने वाली प्रवृत्ति के विपरीत, अपने महान् व्यक्तित्व का परिचय देते हुए उन्होंने यह घोषणा की कि वे सत्ता के लिए किसी भी कीमत पर अपने सिद्धान्तों के साथ समझौता नहीं करेंगे।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।