बादल की आत्मकथा पर हिंदी निबंध | Autobiography of Cloud Essay in Hindi.

 

 बादल की आत्मकथा पर हिंदी निबंध | Autobiography of Cloud Essay in Hindi.


नमस्कार  दोस्तों आज हम की आत्मकथा बादल इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। जी हाँ, मैं बादल हूँ। मेरे बरसने में अब अधिक देर नहीं है। लेकिन तब तक आप मेरी आत्मकथा सुन लीजिए।


मेरा जन्म सागर की विशाल जलराशि से हुआ था। सूर्य की तेज किरणें सागर के जल को तपा रही थीं। सागर का पानी तपने से भाप बन रहा था। उस भाप के रूप में ही मेरा जन्म हुआ। जन्म के समय मैं बहुत हल्का-फुल्का था। मैं धीरे-धीरे ऊपर उठने लगा। 


हवा मुझे अपनी गोद में बिठाकर आकाश में ले गई। वहाँ बचपन के दिन इस प्रकार बीत गए कि कुछ पता ही नहीं चला! आकाश में पहुँचकर मैं फूला नहीं समाया। वहाँ के ठंडे वातावरण के कारण मेरा शरीर जलकणों में बदल गया। 


जब बहुत से जलकण एक साथ मिल गए तब मैं 'बादल' कहलाने लगा। आकाश के नीले आँगन में खेलने में बड़ा मजा आ रहा था। मेरे साथ मेरे और कई भाई भी थे। वहाँ हमने खूब धमाचौकड़ी मचाई। हमने दूर-दूर तक सैर की। रात के तारों को मैंने बहुत अच्छी तरह देखा। 


मेरी यात्रा की प्यास बुझ ही नहीं रही थी। एक दिन हमारा ध्यान धरती की ओर गया। वहाँ के लोग भीषण गर्मी में व्याकुल हो • रहे थे। नदी-नाले, तालाब आदि जलाशय सूख गए थे। किसान बार-बार आकाश की ओर देख रहे थे। 


शहरों में ही नहीं, गाँवों में भी पीने के पानी की कमी हो गई थी। लोग बड़ी बेचैनी से बरसात की राह देख रहे थे। लोगों की यह परेशानी देखकर हमारे दिल पसीज गए। हमने धरती पर बरसने का निश्चय कर लिया। मुझे पता है कि मेरे बरसने का अर्थ है


मेरे जीवन का अंत । परंतु बरसकर धरती की प्यास बुझाना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है। मेरे बरसने से धरती हरी-भरी बनेगी। खेतों में फसलें लहलहाएँगी। वनों-बागों में मोर नाचेंगे। 


परोपकार करते हुए मिट जाने की कल्पना से ही मैं रोमांचित हो उठता हैं। इससे बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है ! दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।