भ्रष्टाचार एक भस्मासुर हिंदी निबंध | Bhrashtachar Ak Bhasmasur Essay In Hindi

 

 भ्रष्टाचार एक भस्मासुर हिंदी निबंध | Bhrashtachar Ak Bhasmasur Essay In Hindi


नमस्कार  दोस्तों आज हम   भ्रष्टाचार एक भस्मासुर इस विषय पर निबंध जानेंगे। पुराणों में भस्मासुर नाम का एक राक्षस था। भगवान के वरदान से जो भी उसके पास जाता, जलकर भस्मसात होता। आज सर्वत्र फैले भ्रष्टाचार रूपी राक्षस ने भस्मासुर का रूप ले लिया है। इस भस्मासुर ने सारी अर्थव्यवस्था को कुतरकर अंदर से खोखला बना दिया है।


देश या किसी भी संस्थान की उन्नति में भ्रष्टाचार एक रुकावट बन गयी है। भ्रष्टाचार ने आज एक भीषण समस्या का रूप ले लिया है। जिन लोगों के पसीने से संपत्ती निर्माण होती है वे सुख से दूर ही रहते है, क्योंकि श्रमिकों का शोषण आज अधिकतर हो रहा है। 


भ्रष्टाचार, विकृत शोषण का ही दूसरा नाम है। अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए हर कोई दूसरों से कार्य कराता है। लेकिन काम करने वाले को उसका उचित दाम नहीं मिलता। शोषण की परंपरा प्राचीन और सभी देशों में विद्यमान है।


सरकारी कर्मचारियों में भ्रष्टाचार का बोलबाला अधिक है। ये कर्मचारी पैसे लिए बिना कोई काम ही नहीं करते। लोग भी अपना काम जल्दी पूरा करने के लिए रिश्वत देते हैं। रिश्वत न देने वालों का काम बहुत देरी से होता है, उसका नुकसान भी होता है। इसलिए परेशानी और नुकसान से बचने के लिए रिश्वत देते हैं। 


रिश्वत की यह परंपरा दिनोंदिन बढती ही जा रही है। सेठ, साहुकार, बनिए, उद्योगपती रिश्वत देकर अपना गलत काम भी करवाते हैं। सामान्य जनता को उससे नुकसान उठाना पडता है। शोषण तथा भ्रष्टाचार से सामाजिक विषमता को इस प्रकार बढावा मिलता है। 


समाज का गला घोंटकर बुरी नीति से पैसा कमाया जाता है। मनुष्य आज भौतिक सुखों के पीछे पड़ा हुआ है। पैसा सर्वश्रेष्ठ मूल्य बन गया है। क्योंकि पैसों द्वारा कोई भी चीज खरीदी जा सकती है। श्रमप्रतिष्ठा, इमानदारी, सच्चाई आदि मूल्यों का अंत हो चुका है। 


धन से मनुष्य की प्रतिष्ठा बढती है। इसलिए सभी धन को चाहते हैं। धन कमाने की होड लग गई है। इसके लिए बेईमानी का रास्ता भी अपना लिया जाता है। किसी भी कीमत पर आदमी आज धन कमाने की फिक्र में रहता है। भौतिक सुखों के प्रति अत्याधिक मोह ही भ्रष्टाचार का मूल कारण है। आसमान को छूती हुई महँगाई भी इसका एक और कारण है।


राजनीति भी भ्रष्टाचारसे मुक्त नहीं है। न्यायप्रणाली भी भ्रष्टाचार को बढावा देने वाली है। भ्रष्टाचारी को कठोर दंड की व्यवस्था नहीं है। भ्रष्टाचार के कारण देश को भारी नुकसान उठाना पड रहा है। चारों तरफ छल-कपट, बेईमानी, अधर्म के ही दर्शन होते हैं। 


राष्ट्रहित का खयाल करके भ्रष्टाचारी को कठोर सजा से दंडित करने का प्रावधान कानून में करना चाहिए। भ्रष्टाचार रूपी इस भस्मासुर का अंत हमें बहुत जल्दी करना चाहिए, वर्ना वह हमें तथा पूरे राष्ट्र को ही भस्मसात कर देगा।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।