बूंद की आत्मकथा हिंदी निबंध | Boond ki atmakatha in hindi

 

बूंद की आत्मकथा हिंदी निबंध | Boond ki atmakatha in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम बूंद की आत्मकथा इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। जी हाँ, मैं पानी की एक छोटी-सी बूँद हूँ। मैं देखने में जरूर छोटी हूँ, लेकिन मेरे जीवन में बड़ी-बड़ी घटनाएं होती रही हैं। मेरा जन्म एक पहाड़ी झरने से हुआ। 


वहाँ मेरी बहुत-सी बहनें थीं। हम सब खूब खेलती थीं। सचमुच मेरा वह जीवन बड़े मजे का था। एक दिन कुछ बूंदों ने एक झील में जाने का निश्चय किया। झील में सफर करने के इरादे से मैं भी उनके साथ गई। सचमुच, वह झील बहुत सुंदर थी। 


झील के पानी में हरी-हरी घास थी। हमने उस घास में खेलने का आनंद लिया। बचपन के वे दिन कितने प्यारे और मीठे थे! एक दिन मैं झील की ऊपरी सतह पर थी तब मैंने अनुभव किया कि मेरा शरीर जल रहा है। थोड़ी देर में मैं एकदम हल्की होकर ऊपर उठने लगी। 


ज्यों-ज्यों मैं ऊपर उठ रही थी, त्यों-त्यों मेरी जलन कम होती जा रही थी। आकाश में पहुँचने पर मुझे बहुत अच्छा लगा। वहाँ मैं फिर पानी की एक बूंद के रूप में बदल गई। पहले भी तो यही रूप था मेरा !  मैंने देखा कि मेरे साथ अनगिनत बूंदें आकाश में आई थीं। 


वहाँ हम सब एक साथ मिल गईं । तब हमारा नाम 'बादल' हो गया। एक दिन हवा का तेज झोंका आया। हम अपना भार संभाल न सकीं। बारिश के रूप में हम धरती पर गिरने लगीं। 


मैं जमीन पर गिरकर एक पेड़ की जड़ में अटक गई। जड़ ने मुझे सोखकर पेड़ के तने में पहुँचा दिया। तने में घूमती-घूमती मैं एक पत्ते पर पहुँची। वहाँ सूरज की तेज किरणों ने मुझे फिर भाप बना दिया। इस बार मैं ज्यादा ऊपर नहीं उठी। 


रात हुई। मैं फिर-से पानी की बूंद बन गई। इस बार मैं गुलाब के एक फूल पर गिरी। अब लोग मुझे 'ओस' कहने लगे। सूरज की तेज धूप निकलने पर मैं फिर से भाप बनकर आकाश में चली जाऊँगी। इस तरह मेरे जीवन का चक्र चलता रहेगा। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।