छाते की आत्मकथा पर निबंध | Chata ki atmakatha essay in hindi

 

 छाते की आत्मकथा पर निबंध | Chata ki atmakatha essay in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम  छाते की आत्मकथा इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। जी हाँ, मैं एक टूटा-फूटा छाता हूँ। जैसे दिन के बाद रात आती है, वैसे ही सुख के बाद दुख आता है। मैंने भी जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। आज मुझे अपने बीते हुए दिनों की याद आ रही है।


मेरा जन्म आज से पाँच साल पहले मुंबई के एक कारखाने में हुआ था। वहाँ कई कारीगर थे। उस कारखाने में कपड़ा, लोहे की तीलियाँ, लकड़ी तथा प्लास्टिक के हत्थे आदि पड़े हुए थे। एक कारीगर ने बड़ी कुशलता से उन्हें जोड़कर मेरा निर्माण किया। बटन दबाते ही जब मैं खुल गया, तो अपना रूप देखकर मैं स्वयं दंग रह गया।


कारखाने से मैं अपने दूसरे भाइयों के साथ एक दूकान में पहुँचा। वहाँ से सड़क की सारी चहल-पहल नजर आती थी। बरसात का मौसम शुरू हो रहा था। एक सज्जन ने मुझे उस दूकानदार से खरीद लिया।


वे सज्जन मुझे लेकर दूकान से बाहर निकले ही थे कि बारिश शुरू हो गई। उन्होंने बटन दबाकर मुझे अपने सिर पर तान दिया। मैं भीगता रहा, पर मैंने अपने मालिक को भीगने नहीं दिया। मुझे बड़ी खुशी हुई। मेरे मालिक एक शानदार फ्लैट में रहते थे। 


उन्होंने मुझे एक कील से टाँग दिया। मैंने उनके साथ दर्जनों फिल्में देखीं। बरसात में मेरे बिना वे घर से बाहर नहीं निकलते थे। कभी-कभी उनका बेटा भी मेरा उपयोग कर लेता था, परंतु वह बड़ा गुस्सैल लड़का था। 


एक बार किसी बात पर गुस्से में उसने मुझे जोर से जमीन पर पटक दिया। मैं बेहोश हो गया। मेरे कई अंग ढीले हो गए। हे ईश्वर ! तू कृपा कर के जल्दी मेरी तकदीर का फैसला कर दे। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।