छत्रपति शिवाजी महाराज पर निबंध हिंदी | Chhatrapati Shivaji Maharaj Essay In Hindi

 

 छत्रपति शिवाजी महाराज पर निबंध हिंदी | Chhatrapati Shivaji Maharaj Essay In Hindi


नमस्कार  दोस्तों आज हम  छत्रपति शिवाजी महाराज इस विषय पर निबंध जानेंगे। प्रस्तावना-भारत की भूमि पर अनेक ऐसे वीरों ने जन्म लिया है जिनकी शौर्यगाथा विश्व में सदा के लिए अमर हो चुकी है। युगों का इतिहास भी उनके अस्तित्व को नहीं मिटा सका है। ऐसे महान वीरों में छत्रपति शिवाजी का नाम सबसे आगे है।


इनकी माता जीजाबाई एक साध्वी, सदाचारिणी एवं गुणवती त्री थीं। इनके पिता शाहजी भामले बीजापुर रियासत में उच्च सैनिक पद पर नियुक्त थे।


हिन्दुओं के महान तथा वीर पुरुषों की जीवन गाथाएँ सुना-सुना कर जीजाबाई ने इनके मन में धर्म और जाति की रक्षा का भाव कूट-कूटकर भर दिया था। आप बचपन से ही मल्ल-युद्ध, भाले-बरछे, तीर-तलवार, घुड़सवारी तथा बाणविद्या सीखने लग गए थे।


इनके दादा कोंडदेव ने इन्हें युद्ध-कौशल और शासन-प्रबन्ध में निपुण कर दिया था। सेना का संगठन-शिवाजी ने बचपन में ही मराठा बालकों के छोटे-छोटे दल बनाकर कृत्रिम युद्ध आरम्भ कर दिए थे। धीरे-धीरे आपने अपनी सैन्य-शक्ति बढ़ा ली। 


आपके पिता शाहजी चाहते थे कि आप भी बीजापुर राज्य में उच्च पद प्राप्त करें, किन्तु आपने पिता की इच्छा पर विशेष ध्यान नहीं दिया और अपनी सेना की सहायता से बीजापुर के दुर्गों पर धावे बोलने आरम्भ कर दिए। 19 वर्ष की अवस्था में ही आपने तोरण, सिंहगढ़ आदि किलों पर अधिकार कर लिया।


अफजल खाँ से युद्ध-अपनी शक्ति बढ़ा लेने के बाद शिवाजी ने बीजापुर में लूटमार आरम्भ कर दी। इस पर बीजापुर के शासक ने अपने शक्तिशाली सेनापति अफजल खाँ को शिवाजी को पकड़ने के लिए भेजा। वह शिवाजी को धोखे से पकड़ना चाहता था 


अतः उसने शिवाजी को बातचीत के लिए बुला भेजा। परन्तु शिवाजी अफजल खाँ के छल-कपट की बात जान चुका था। प्रतापगढ़ किले के पास उनकी भेंट हुई। अफजल खाँ ने ज्योंही शिवाजी पर छुरे से वार किया वह सँभल गए। परन्तु शिवाजी ने तुरन्त पलटकर वार किया और बघनखे से अफजल खाँ को यमलोक पहुँचा दिया।


बन्दीगृह से पलायन-शिवाजी ने मुगल सम्राट औरंगजेब की भी नींद हराम कर रखी थी। अत: उसने शिवाजी की शक्ति को कुचलने के लिए अपने सेनापति शाईस्ता खाँ को भेजा। शिवाजी ने शाईस्ता खाँ को मौत के घाट उतार दिया। इस बार औरंगजेब ने शिवाजी को राजा जयसिंह के द्वारा आगरे अपने दरबार में बुलवाया।


वहाँ पर शिवाजी का उचित सम्मान नहीं हुआ। इस पर आप बिगड़ गए तो इन्हें बन्दी बना लिया। आप चतुर तो थे ही। पहले आपने रोगी होने का बहाना किया और फिर कुछ दिनों बाद स्वस्थ होने की खबर फैला दी। स्वस्थ होने के उपलक्ष्य में मिठाइयाँ बाँटनी आरम्भ कर दीं। एक दिन दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।