diwali in hindi essay


निबंध 1

diwali in hindi essay : हिन्दू धर्म में त्यौहारों को बहुत मान्यता दी जाती है, क्योंकि त्यौहार खुशियाँ लाते हैं। और साल भर में केवल एक बार आते हैं। हमारे हिन्दू धर्म में कुछ त्यौहारों को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। जिनमें होली, रक्षाबन्धन, दीपावली एवं दशहरा प्रमुख हैं। हमारे जीवन में प्रकाश फैलाने वाले त्यौहार दीपावली की अधिक बेसर्बी से प्रतीक्षा की जाती है। दीपावली हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इसे दीयों का पर्व या प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है। इस दिन देश भर प्रकाश से जगमगा उठता है। यह पर्व अपने साथ कई पर्व और लाता है; जैसे-धन तेरस, गोवर्धन, भैया दूज आदि। इसी वजह से इन सभी त्यौहारों को धूमधाम से मनाया जाता है।

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 दीपावली से पहले धन तेरस पर्व आता है। इस दिन कोई न कोई नया बर्तन खरीदने की परम्परा निभाई जाती है। इसके अगले दिन छोटी दीपावली को त्यौहार मनाया जाता है। फिर इसके अगले दिन गोवर्धन का पर्व मनाया जाता है और सबसे अन्त में मनाया जाता है भैया दूज का त्यौहार।
लोगों की धारणा है दीपावली इसलिए मनाई जाती है कि इस दिन विष्णु भगवान ने नृसिंह का रूप लेकर हिरण्य कश्यप को मारकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। कुछ लोगों का मानना है कि इस दिन पुरुषोत्तम राम लंका के राजा रावण को मारकर अयोध्या वापस लौटे थे। इस खुशी में अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत के लिए घरों में दीये जलाये थे।


यह त्यौहारा बड़ी खुशी एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में मोमबत्तियाँ एवं दीये जलाकर प्रकाश करते हैं। इस त्यौहार की हर किसी को प्रतीक्षा होती है। लोग इस पर्व के आने से एक माह पहले ही अपने घरों की साफ-सफाई में जुट जाते हैं। सभी लोग अपने घरों में पुताई एवं रंग-रोगन करते हैं। सभी व्यापारी इस दिन से ही अपने नये बही-खाते शुरू करते हैं। बाजारों में इस त्यौहार से पहले ही चहल-पहल शुरू हो जाती है एवं देखने पर मेले जैसा माहौल प्रतीत होता है। बाजार रंग-बिरंगी पट्टी-पताकाओं एवं फूलों से सजाये जाते हैं। इस दिन मिठाई एवं पटाखों की सबसे अधिक खरीद की जाती है। बच्चे इस दिन खूब मौज-मस्ती के साथ आतिशबाजी करते हैं।


रात्रि के समय लक्ष्मी-गणेश का पूजन किया जाता है एवं इन्हें मिठाई और खील-बताशों का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन रात के समय लक्ष्मी का आगमन होता है। लोग अपने मित्रों के यहाँ मिठाई बाँटने जाते हैं। यह त्यौहार एक खुशी का त्यौहार है इसलिए इसे बड़ी खुशी एवं प्रेम के साथ ही मनाना चाहिये। वैज्ञानिकों का कहना है कि आतिशबाजी छोड़ने से वातावरण में व्याप्त कीटाणुओं का इस दिन अन्त हो जाता है।
कुछ लोग इस दिन शराब पीते हैं व जुआ खेलकर अपने धन की हानि करते हैं। इसके अतिरिक्त बाजारों में घातक पटाखे बेचे जाने के कारण दुर्घटनाएँ भी होती हैं। इन बुराइयों पर प्रतिबन्ध अवश्य लगाया जाना चाहिये। क्योंकि इससे जन एवं धन दोनों की हानि होती है।


निबंध 2

हमारे देश में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। उनमें दीवाली की शान निराली है। आश्विन माह की अमावस्या को मनाया जानेवाला यह पर्व, सभी पर्यों का राजा है। यह प्रकाश का पर्व है।
दीपावली के बारे में कई तरह की मान्यताएँ हैं। इसका संबंध भगवान राम के लंका विजय से है। भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनकी अयोध्या वापसी पर अयोध्यावासियों ने रोशनी करके अपना आनंद प्रकट किया था। यह आश्विन माह की अमावस्या का दिन था। तब से हर वर्ष इस दिन दीपावली मनाई जाने लगी। धीरे-धीरे इसने त्योहार का रूप ले लिया। एक मान्यता यह भी है कि युधिष्ठिर के
 
राजसूय यज्ञ की पूर्णाहुति की खुशी में इस त्योहार की शुरुआत हुई। जैन संप्रदाय के लोग इस दिन को भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं।
दीपावली से कुछ दिन पहले ही इस त्योहार की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग अपने-अपने घर को झाड़-पोंछकर साफ करते हैं। उसकी पुताई करते और उसे सजाते हैं। लोग नए-नए कपड़े सिलाते हैं। महिलाएँ नए-नए गहने खरीदती हैं। घर-घर में पकवान और मिठाइयाँ बनती हैं। बच्चे फुलझड़ियाँ जलाते हैं और पटाखे फोड़ते हैं। _दीपावली का त्योहार-धनतेरस से भाईदूज तक– पाँच दिनों का होता है। पाँचों दिन खूब धूमधाम रहती है। घरों में रंगीन बल्बों की रोशनी की जाती है। दरवाजे पर ताजा फूलपत्तियों के तोरण बाँधे जाते हैं। आँगन और प्रवेशदवार पर नित्य नई रंगोलियाँ सजाई जाती हैं। गली-मुहल्लों में पटाखों की आवाजें गूंजने लगती हैं।


अमावस्या की रात दीपावली की रात होती है। इस अवसर पर शुभ मुहूर्त में व्यापारीगण लक्ष्मीजी, गणेशजी तथा बहियों की पूजा करते हैं। दीपावली के दूसरे दिन नए वर्ष का प्रारंभ होता है। लोग अपने मित्रों, संबंधियों एवं पड़ोसियों को नए वर्ष की शुभ कामनाएँ देते हैं। दूर रहनेवाले प्रियजनों को बधाई-संदेश भेजते हैं। भाईदूज के दिन भाई अपनी बहन को कुछ उपहार देता है। बहन भाई के लिए मंगल कामना करती है।
दीपावली प्रकाश का सुंदर पर्व है। यह पर्व हमारे घर, आँगन और अंत:करण को जगमगाता है। अंधेरे में उजाला फैलानेवाला यह त्योहार हमारी जिंदगी में नवजीवन का संदेश लेकर आता है।
 
 
निबंध 3

प्रस्तावना- भारतवर्ष त्यौहारों-पर्वो तथा उत्सवों का देश है। भारतीय त्यौहारों में दीपावली का विशेष महत्त्व है। यह इस देश का सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय त्यौहार है। दीपावली दीपों का त्यौहार है। दीपावली का बिगड़ा हुआ रूप है 'दीवाली'। इसका अर्थ है दीपों की अवली अर्थात् दीपों की कतार (पंक्ति)। इस दिन हिन्दू लोग अपने घरों में दीये, मोमबत्तियाँ तथा बिजली के बल्बों को जलाकर, उनकी पंक्तियाँ अर्थात् कतार लगा देते हैं।
कब मनाया जाता है?-यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को सारे भारतवर्ष में बहुत धूमधाम तथा उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी ओर इतनी अधिक रोशनी की जाती है जिससे अमावस्या की काली रात भी पूर्णमासी की तरह जगमगाने लगती है। दीपावली से पूर्व 'धनतेरस' तथा इसके बाद 'गोवर्धन पूजा' और 'भैया दूज' के त्यौहार मनाए जाते हैं।


क्यों मनाया जाता है?-इस दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्षों का वनवास काटकर तथा लंका पर विजय प्राप्त करके सीता तथा लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे। इस तिथि को श्रीरामचन्द्र जी का राजतिलक किया गया था। अतः इस दिन सारे अयोध्यावासियों ने इसी खुशी में आनन्दोत्सव मनाया था तथा अपने हर्षोल्लास को प्रकट करने के लिए दीप जलाए थे और मिठाइयाँ बाँटी थीं। जैन धर्म के महावीर स्वामी तथा आर्य समाज के स्वामी दयानन्द सरस्वती जी को भी इसी दिन मुक्ति मिली थी। इसीलिए जैनी तथा आर्य समाज के लोग भी इस त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। यह भी कहा जाता है कि महाराज युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ भी इसी तिथि को सम्पन्न हुआ था।

 कैसे मनाया जाता है?-इस दिन लोग अपने घरों व दुकानों को सजाते हैं। गलियों तथा बाजारों को भी सजाया जाता है बाजारों में हलवाइयों की दुकानें खूब सजी होती हैं और सभी लोग मिठाइयाँ खरीदते हैं। इस दिन बाजारों से सुन्दर-सुन्दर खिलौने व बर्तन आदि भी खरीद कर लाए जाते हैं। इस दिन | स्त्रीयाँ अपने घरों में पकवान भी बनाती हैं। बच्चे व युवक आतिशबाजी चलाते हैं। 

घरों में आस्थावान लोग गणेश और लक्ष्मी की पूजा करते हैं। लोग दीवाली | पूजन के बाद अपने इष्ट मित्रों व सम्बन्धियों के घर मिठाइयाँ भेजते हैं। व्यापारी बन्धु इस दिन अपना नए वर्ष का नया बहीखाता बनाते हैं।
उपसंहार-दीपावली के दिन कुछ लोग जुआ खेलना व शराब पीना अच्छा मानते हैं। यद्यपि इस कारण से अनेक घर बर्बाद हो जाते हैं। एक ओर तक्ष्मी की पूजा करके लोग उससे धन-प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं तो दूसरी ओर बहुत से लोग जुआ खेल कर धन हार जाते हैं। फिर भी यह पर्व धनी-निर्धन,
राजा-रंक एवं शिक्षित-अशिक्षित सभी के लिए हर्षोल्लास प्रदान करने वाला  त्यौहार है।

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निबंध 1

diwali in hindi essay : हिन्दू धर्म में त्यौहारों को बहुत मान्यता दी जाती है, क्योंकि त्यौहार खुशियाँ लाते हैं। और साल भर में केवल एक बार आते हैं। हमारे हिन्दू धर्म में कुछ त्यौहारों को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। जिनमें होली, रक्षाबन्धन, दीपावली एवं दशहरा प्रमुख हैं। हमारे जीवन में प्रकाश फैलाने वाले त्यौहार दीपावली की अधिक बेसर्बी से प्रतीक्षा की जाती है। दीपावली हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इसे दीयों का पर्व या प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है। इस दिन देश भर प्रकाश से जगमगा उठता है। यह पर्व अपने साथ कई पर्व और लाता है; जैसे-धन तेरस, गोवर्धन, भैया दूज आदि। इसी वजह से इन सभी त्यौहारों को धूमधाम से मनाया जाता है।

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 दीपावली से पहले धन तेरस पर्व आता है। इस दिन कोई न कोई नया बर्तन खरीदने की परम्परा निभाई जाती है। इसके अगले दिन छोटी दीपावली को त्यौहार मनाया जाता है। फिर इसके अगले दिन गोवर्धन का पर्व मनाया जाता है और सबसे अन्त में मनाया जाता है भैया दूज का त्यौहार।
लोगों की धारणा है दीपावली इसलिए मनाई जाती है कि इस दिन विष्णु भगवान ने नृसिंह का रूप लेकर हिरण्य कश्यप को मारकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। कुछ लोगों का मानना है कि इस दिन पुरुषोत्तम राम लंका के राजा रावण को मारकर अयोध्या वापस लौटे थे। इस खुशी में अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत के लिए घरों में दीये जलाये थे।


यह त्यौहारा बड़ी खुशी एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में मोमबत्तियाँ एवं दीये जलाकर प्रकाश करते हैं। इस त्यौहार की हर किसी को प्रतीक्षा होती है। लोग इस पर्व के आने से एक माह पहले ही अपने घरों की साफ-सफाई में जुट जाते हैं। सभी लोग अपने घरों में पुताई एवं रंग-रोगन करते हैं। सभी व्यापारी इस दिन से ही अपने नये बही-खाते शुरू करते हैं। बाजारों में इस त्यौहार से पहले ही चहल-पहल शुरू हो जाती है एवं देखने पर मेले जैसा माहौल प्रतीत होता है। बाजार रंग-बिरंगी पट्टी-पताकाओं एवं फूलों से सजाये जाते हैं। इस दिन मिठाई एवं पटाखों की सबसे अधिक खरीद की जाती है। बच्चे इस दिन खूब मौज-मस्ती के साथ आतिशबाजी करते हैं।


रात्रि के समय लक्ष्मी-गणेश का पूजन किया जाता है एवं इन्हें मिठाई और खील-बताशों का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन रात के समय लक्ष्मी का आगमन होता है। लोग अपने मित्रों के यहाँ मिठाई बाँटने जाते हैं। यह त्यौहार एक खुशी का त्यौहार है इसलिए इसे बड़ी खुशी एवं प्रेम के साथ ही मनाना चाहिये। वैज्ञानिकों का कहना है कि आतिशबाजी छोड़ने से वातावरण में व्याप्त कीटाणुओं का इस दिन अन्त हो जाता है।
कुछ लोग इस दिन शराब पीते हैं व जुआ खेलकर अपने धन की हानि करते हैं। इसके अतिरिक्त बाजारों में घातक पटाखे बेचे जाने के कारण दुर्घटनाएँ भी होती हैं। इन बुराइयों पर प्रतिबन्ध अवश्य लगाया जाना चाहिये। क्योंकि इससे जन एवं धन दोनों की हानि होती है।


निबंध 2

हमारे देश में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। उनमें दीवाली की शान निराली है। आश्विन माह की अमावस्या को मनाया जानेवाला यह पर्व, सभी पर्यों का राजा है। यह प्रकाश का पर्व है।
दीपावली के बारे में कई तरह की मान्यताएँ हैं। इसका संबंध भगवान राम के लंका विजय से है। भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनकी अयोध्या वापसी पर अयोध्यावासियों ने रोशनी करके अपना आनंद प्रकट किया था। यह आश्विन माह की अमावस्या का दिन था। तब से हर वर्ष इस दिन दीपावली मनाई जाने लगी। धीरे-धीरे इसने त्योहार का रूप ले लिया। एक मान्यता यह भी है कि युधिष्ठिर के
 
राजसूय यज्ञ की पूर्णाहुति की खुशी में इस त्योहार की शुरुआत हुई। जैन संप्रदाय के लोग इस दिन को भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं।
दीपावली से कुछ दिन पहले ही इस त्योहार की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग अपने-अपने घर को झाड़-पोंछकर साफ करते हैं। उसकी पुताई करते और उसे सजाते हैं। लोग नए-नए कपड़े सिलाते हैं। महिलाएँ नए-नए गहने खरीदती हैं। घर-घर में पकवान और मिठाइयाँ बनती हैं। बच्चे फुलझड़ियाँ जलाते हैं और पटाखे फोड़ते हैं। _दीपावली का त्योहार-धनतेरस से भाईदूज तक– पाँच दिनों का होता है। पाँचों दिन खूब धूमधाम रहती है। घरों में रंगीन बल्बों की रोशनी की जाती है। दरवाजे पर ताजा फूलपत्तियों के तोरण बाँधे जाते हैं। आँगन और प्रवेशदवार पर नित्य नई रंगोलियाँ सजाई जाती हैं। गली-मुहल्लों में पटाखों की आवाजें गूंजने लगती हैं।


अमावस्या की रात दीपावली की रात होती है। इस अवसर पर शुभ मुहूर्त में व्यापारीगण लक्ष्मीजी, गणेशजी तथा बहियों की पूजा करते हैं। दीपावली के दूसरे दिन नए वर्ष का प्रारंभ होता है। लोग अपने मित्रों, संबंधियों एवं पड़ोसियों को नए वर्ष की शुभ कामनाएँ देते हैं। दूर रहनेवाले प्रियजनों को बधाई-संदेश भेजते हैं। भाईदूज के दिन भाई अपनी बहन को कुछ उपहार देता है। बहन भाई के लिए मंगल कामना करती है।
दीपावली प्रकाश का सुंदर पर्व है। यह पर्व हमारे घर, आँगन और अंत:करण को जगमगाता है। अंधेरे में उजाला फैलानेवाला यह त्योहार हमारी जिंदगी में नवजीवन का संदेश लेकर आता है।
 
 
निबंध 3

प्रस्तावना- भारतवर्ष त्यौहारों-पर्वो तथा उत्सवों का देश है। भारतीय त्यौहारों में दीपावली का विशेष महत्त्व है। यह इस देश का सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय त्यौहार है। दीपावली दीपों का त्यौहार है। दीपावली का बिगड़ा हुआ रूप है 'दीवाली'। इसका अर्थ है दीपों की अवली अर्थात् दीपों की कतार (पंक्ति)। इस दिन हिन्दू लोग अपने घरों में दीये, मोमबत्तियाँ तथा बिजली के बल्बों को जलाकर, उनकी पंक्तियाँ अर्थात् कतार लगा देते हैं।
कब मनाया जाता है?-यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को सारे भारतवर्ष में बहुत धूमधाम तथा उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी ओर इतनी अधिक रोशनी की जाती है जिससे अमावस्या की काली रात भी पूर्णमासी की तरह जगमगाने लगती है। दीपावली से पूर्व 'धनतेरस' तथा इसके बाद 'गोवर्धन पूजा' और 'भैया दूज' के त्यौहार मनाए जाते हैं।


क्यों मनाया जाता है?-इस दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्षों का वनवास काटकर तथा लंका पर विजय प्राप्त करके सीता तथा लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे। इस तिथि को श्रीरामचन्द्र जी का राजतिलक किया गया था। अतः इस दिन सारे अयोध्यावासियों ने इसी खुशी में आनन्दोत्सव मनाया था तथा अपने हर्षोल्लास को प्रकट करने के लिए दीप जलाए थे और मिठाइयाँ बाँटी थीं। जैन धर्म के महावीर स्वामी तथा आर्य समाज के स्वामी दयानन्द सरस्वती जी को भी इसी दिन मुक्ति मिली थी। इसीलिए जैनी तथा आर्य समाज के लोग भी इस त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। यह भी कहा जाता है कि महाराज युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ भी इसी तिथि को सम्पन्न हुआ था।

 कैसे मनाया जाता है?-इस दिन लोग अपने घरों व दुकानों को सजाते हैं। गलियों तथा बाजारों को भी सजाया जाता है बाजारों में हलवाइयों की दुकानें खूब सजी होती हैं और सभी लोग मिठाइयाँ खरीदते हैं। इस दिन बाजारों से सुन्दर-सुन्दर खिलौने व बर्तन आदि भी खरीद कर लाए जाते हैं। इस दिन | स्त्रीयाँ अपने घरों में पकवान भी बनाती हैं। बच्चे व युवक आतिशबाजी चलाते हैं। 

घरों में आस्थावान लोग गणेश और लक्ष्मी की पूजा करते हैं। लोग दीवाली | पूजन के बाद अपने इष्ट मित्रों व सम्बन्धियों के घर मिठाइयाँ भेजते हैं। व्यापारी बन्धु इस दिन अपना नए वर्ष का नया बहीखाता बनाते हैं।
उपसंहार-दीपावली के दिन कुछ लोग जुआ खेलना व शराब पीना अच्छा मानते हैं। यद्यपि इस कारण से अनेक घर बर्बाद हो जाते हैं। एक ओर तक्ष्मी की पूजा करके लोग उससे धन-प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं तो दूसरी ओर बहुत से लोग जुआ खेल कर धन हार जाते हैं। फिर भी यह पर्व धनी-निर्धन,
राजा-रंक एवं शिक्षित-अशिक्षित सभी के लिए हर्षोल्लास प्रदान करने वाला  त्यौहार है।