एक घायल सैनिक की आत्मकथा पर हिंदी निबंध | Ek Ghayal Sainik Ki Atmakatha Essay In Hindi

 

एक घायल सैनिक की आत्मकथा पर हिंदी निबंध | Ek Ghayal Sainik Ki Atmakatha Essay In Hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम एक घायल सैनिक की आत्मकथा इस विषय पर निबंध जानेंगे। इस लेख मे कुल २ निबंध दिये गये हे जिन्‍हे आप एक -एक करके पढ सकते हे । मैं भारतीय फौज का एक अवकाशप्राप्त सैनिक हूँ। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए मैंने कई बार दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिए हैं। अपनी बहादुरी के कारनामे याद करता हूँ तो आज भी मुझे बहुत अचरज होता है। 


मेरा जन्म आज से लगभग साठ वर्ष पहले औरंगाबाद में हुआ था। फौज में भर्ती होना हमारी खानदानी परंपरा थी। मेरे दादाजी भारतीय सेना में मेजर थे। मेरे पिताजी पहले और दूसरे विश्व-युद्ध में लड़ चुके थे। इसलिए मैट्रिक की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद मैं भी भारतीय स्थल सेना में भर्ती हो गया। 


कुछ समय के प्रशिक्षण के बाद मैंने राइफल से निशाना लगाने में प्रवीणता प्राप्त कर ली। मुझे पर्वत पर चढ़ने तथा टैंक और दूसरे आधुनिक शस्त्रास्त्र चलाने का प्रशिक्षण भी दिया गया। मुझे नेफा के मोर्चे पर भेजा गया। वहाँ का जीवन कठिन था, परंतु मुझे बहुत पसंद आया।


नेफा काफी ऊँचाई पर है। वहाँ साल में कई महीने बर्फ जमी रहती है। ठंडी में पीने का पानी भी बर्फ में बदल जाता है। मुझे अपने साथियों के साथ ऐसा जीवन जीने की आदत पड़ गई थी। तभी अक्तूबर १९६२ में एक दिन चीनी सैनिकों ने हमारी चौकी पर अचानक हमला बोल दिया। 



वे सैकड़ों थे, जबकि हम कुल २५ थे। फिर भी हमने उन्हें नाकों चने चबवा दिए। अकेले मैंने तीस चीनियों को मौत की गोद में सुला दिया था। इसके बावजूद हमारे १९ साथी मारे गए। ढाई-तीन सौ सैनिकों के सामने हम कहाँ तक टिक पाते? उसी समय भारतीय सैनिकों की एक टुकड़ी हमारी मदद करने आ पहुँची। हमारी ताकत बढ़ते देखकर चीनी सैनिक भाग खड़े हुए।


सन १९६५ और सन १९७१ में मैं पाकिस्तानी सेना से लड़ा। १९६५ में तो मैं अपने साथियों के साथ लाहौर तक चला गया। यदि ताश्कंद समझौता न होता तो हमारी छावनी लाहौर में होती।सन् १९७१ में मैं बँगला देश के मोर्चे पर था। 


एक दिन एक गोला मेरे पास आकर फटा और मैं उसकी चपेट में आ गया। मेरे दाएँ पैर में गहरी चोट लगी। मुझे वहाँ के एक सैनिक अस्पताल में दाखिल किया गया। ठीक होने पर भी चलते समय मुझे बैसाखी की जरूरत पड़ती थी।


युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार हुई थी और पूर्वी पाकिस्तान बँगला देश बन गया था। भारत सरकार ने 'वीरचक्र' देकर मुझे सम्मानित किया था। साथ ही मुझे नौकरी से अवकाश दे दिया गया था। मुझे आज भी पेंशन मिलती है। अब तो मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूँ। 


पिछले साल कारगिल युद्ध में वीरता दिखाने के लिए मेरे बेटे को वीरचक्र' प्रदान किया गया था। बेटे की जीत में मुझे अपनी जीत दिखाई दी। युद्ध में लगे घाव तो मेरे जीवन के गहने हैं।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए । और आगे दिया हुआ दूसरा निबंध पढ़ना मत भूलियेगा धन्यवाद  ।


निबंध 2


 एक घायल सैनिक की आत्मकथा पर हिंदी निबंध | Ek Ghayal Sainik Ki Atmakatha Essay In Hindi


 मैं भारतीय फौज का एक अवकाशप्राप्त सैनिक हूँ। मुझे अपने जीवन और कार्यों पर गर्व है। मेरा जन्म हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र के एक गाँव में हुआ था। मेरे पिता एक पहाड़ी मजदूर थे। वे यात्रियों का सामान ढोते थे। मेरी माँ घर का सब काम करती थी और खेती भी सँभालती थी। 


हमारे खेत में कुछ अनाज पैदा होता था। आलू भी खूब होते थे। परिवार में मुझसे छोटी एक बहन भी थी। हम गरीब थे, परंतु माता-पिता ने हमारे पालन-पोषण पर पूरा-पूरा ध्यान दिया था। उन्होंने मुझे मैट्रिक तक शिक्षा दिलाई थी। 


जब मैं मैट्रिक में था, तभी मेरे पिता अचानक चल बसे । परिवार की सारी जिम्मेदारी मुझपर आ गई। उन दिनों हमारे गाँव में सेना में नई भर्ती हो रही थी। मैट्रिक के बाद मैं भी सेना में भर्ती हो गया। प्रशिक्षण का लंबा और कठिन दौर शुरू हुआ। सैनिक बनने के बाद मुझे सीमा की एक चौकी पर तैनात कर दिया गया।


देश की उत्तरी सीमा पर भयानक ठंड होती है। मैंने अपने साथियों के साथ मौसम की भयानकता का सामना करना सीख लिया। सन १९६२ में हमारे देश पर चीन ने हमला किया। सन १९६५ और १९७१ में पाकिस्तान से हमारा युद्ध हुआ। 


मैंने इन तीनों युद्धों में भाग लिया है और कई बार मरते-मरते बचा हूँ। १९७१ की लड़ाई के बाद भारत सरकार की ओर से मुझे 'वीरचक्र' प्राप्त हुआ।



कुछ वर्ष पहले ही मैं सेवा-निवृत्त हुआ हूँ। मुझे हर महीने पेंशन की रकम मिलती है। अब मैं अपने परिवार के साथ सुख और शांति का जीवन बिता रहा हूँ।



हमारे गाँव में कई समस्याएँ हैं। इसलिए मैं अपना बाकी बचा जीवन अपने गाँव की सेवा में लगाना चाहता हूँ। जिस तरह सीमा पर रहकर मैंने दुश्मनों का सामना किया, उसी तरह अब मैं गाँव में रहकर यहाँ की समस्याओं का सामना करना तथा उन्हें हल करना चाहता हूँ। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।