चाँदनी रात्रि में नौका-विहार पर निबंध | Essay on Boat Ride in Moonlight Night in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम चाँदनी रात्रि में नौका-विहार इस विषय पर निबंध जानेंगे। नौका विहार अर्थात् नाव में बैठकर सैर करना एक श्रेष्ठ व्यायाम, एक साफ-सथरा खेल तथा एक अच्छा शौक है।
यह एक अच्छा मनोरंजन भी है।प्रायः लोग नौका विहार प्रातः, दोपहर तथा सायंकाल में किया करते हैं। परन्तु चाँदनी रात में नौका विहार करने का तो आनन्द ही अलग है। चाँदनी रात में भी पूर्णिमा की रात हो तो फिर उसका कहना ही क्या?
उस रात चाँद की ज्योत्स्ना चारों ओर के वातावरण को अपने आवरण में लपेट लेती है तथा चाँद की किरणें नदी के जल पर अमृत बरसाया करती हैं ऐसे समय में चप्पू चलाने से नदी की चंचल धारा में धीमा-धीमा शोर करती हुई हँसिनी-सी नाव धीरे-धीरे आगे बढ़ती हुई बहुत सुन्दर लगती है।
नदी के किनारे उगे वृक्षों व झाड़ियों की परछाइयाँ जल की धारा में एक सुन्दर-सा दृश्य प्रस्तुत करने लगती हैं। मानो नदी की तरंगें चन्द्र-जयोत्स्ना के साथ आँख मिचौली खेल रही हों। चन्द्रमा का प्रतिबिम्ब नदी के जल में झिलमिलाता हुआ बहुत ही आकर्षक लगता है।
उस चाँदनी रात में जब हम नाव में बैठकर आकाश में चन्द्रमा की ओर देखते हैं तो वह दृश्य बहुत सुन्दर लगता है। उस समय ऐसा लगता है मानो चाँदनी रात में नौका स्वयं सुन्दर युवती का रूप धारण कर संगीत की महफिल का आनन्द ले रही हो।
चन्द्र ज्योत्स्ना के इस रजत पर्दे पर तैरतो हुई नौकाओं का अनोखा नृत्य-सा देखने को मिले तो हम पूर्णतया आत्मविभोर हो उठते दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।