एक भयकर तूफान पर हिंदी निबंध | Essay on A Dreadful Storm In Hindi

 

एक भयकर तूफान पर हिंदी निबंध | Essay on A Dreadful Storm In Hindi


नमस्कार  दोस्तों आज हम एक भयकर तूफान इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। जून '९८ का दूसरा सप्ताह शुरू हो चुका था। इस समय वर्षा का आरंभ होता है और चारों तरफ खुशी का वातावरण रहता है। परंतु इस बार पश्चिमी भारत को वर्षा का स्वागत नहीं, भीषण चक्रवाती तूफान का सामना करना पड़ा। 


इसमें गुजरात को भारी नुकसान उठाना पड़ा। कच्छ जिला बुरी तरह प्रभावित हुआ था। गुजरात के समुद्र तट के भागों में हजारों लोग मौत के मुँह में समा गए थे।


अखबार में तूफानग्रस्त क्षेत्रों की दर्दनाक खबरें पढ़कर मैंने अपने कई मित्रों के साथ उस इलाके में जाने का निश्चय किया। हमारे यहाँ के 'तरुण मित्र मंडल' ने एक ट्रक अनाज इकट्ठा किया था। उसी ट्रक में हम कांडला बंदरगाह पहुँचे।


कांडला बंदरगाह अपने आधुनिक रूप-रंग के लिए देशभर में प्रसिद्ध हैं। चक्रवाती तूफान ने कांडला बंदरगाह की सारी शान को पलभर में ही धूल में मिला दिया। उसके आसपास के प्रदेश के हजारों पेड़ जड़ से उखड़ गए थे। बिजली के सभी खंभे जमीन पर गिर पड़े थे। 


कांडला बंदरगाह के कच्चे मकान देखते-ही-देखते धराशायी हो गए थे। वहाँ की झोपड़पट्टी समुद्र में बह गई थी। हजारों मरे हुए लोगों की लाशों को उठाने का काम तो पूरा हो चुका था। परंतु, जानवरों की लाशें अभी इधर-उधर पड़ी थी और सड़ रही थीं। गीध और कौए इन लाशों पर बैठकर त्यौहार मना रहे थे।


हमने वहाँ कई सहायता केंद्र देखे। कहीं तूफानपीड़ितों को अनाज दिया जा रहा था। कहीं उन्हें कपड़े बाँटे जा रहे थे। कुछ संस्थाएँ जरूरतमंदों को दवाइयाँ दे रही थीं। कुछ लोग घूम-घूमकर बिस्किट तथा खाने-पीने का सामान बाँट रहे थे। 


मौसम अभी खराब ही था। उसके कारण राहतकार्य में रुकावट आ रही थी। गुजरात के कुछ मंत्री राहतकार्यों का निरीक्षण कर रहे थे। वहाँ के करुण दृश्य को देखकर ऐसा लगता था कि प्रकृति जितनी कोमल है, उससे कई गुना अधिक कठोर भी है। निर्माण और विनाश दोनों उसके हाथों के खिलौने हैं। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।