बाढ़ का दृश्य पर निबंध | Essay on Flood Scene in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम बाढ़ का दृश्य इस विषय पर निबंध जानेंगे। भूमिका-प्रकृति की लीला भी बड़ी न्यारी है। जब प्यासी धरती को पानी की आवश्यकता होती है, तब तो पानी की एक बूंद भी नहीं बरसती और कभी नी इतना अधिक बरसता है कि नदियाँ उसे अपने किनारों के आँचल में मेट नहीं पाती हैं।
जो गंगा, यमुना, गोदावरी, गोमती आदि नदियाँ जड़-चेतन के लिए वरदान स्वरूप होती हैं, वही बाढ़ के रूप में कभी-कभी अभिशाप न जाती हैं।बाढ़ के कारण-बाढ़ आने के प्रमुख रूप से दो कारण होते हैं।
एक कारण है वर्षा का आवश्यकता से अधिक होना तथा दूसरा कारण है नदी या (म आदि के बाँधों में दरार पड़ना। दोनों ही स्थितियों में जल बेकाबू हो जाता और चारों ओर विनाश का भयंकर रूप धारण कर लेता है। ऐसा प्रायः वर्षा दिनों में ही होता है।
बाढ़ का दृश्य-वर्षा के दिनों में प्रायः समाचार-पत्र में बाढ़ के हृदयदारक समाचार पढ़ने में आते रहते हैं। इन दिनों में नदियों में पानी इतना बढ़ ता है कि वह किनारों को तोड़कर चारों ओर धरती पर फैल जाता है। उस मय धरती जलमय सागर का रूप धारण कर लेती है।
उस बाढ़ के पानी का हाव इतना तेज होता है कि वह अपने रास्ते में आने वाली सभी वस्तुओं को हा ले जाता है। वह आँधी और तूफान की-सी गति में बहता हुआ पानी अनेक स्तियों, कस्बों और नगरों को अपनी चपेट में ले लेता है। हजारों एकड़ पजाऊ भूमि जल की भेंट हो जाती है।
उस समय गिरते हुए मकान, उखड़ते ए पेड़-पौधे, बहते हुए पशु तथा डूबते हुए प्राणियों को देखकर देखने वालों श्री आँखों में आँसू आ जाते हैं। जिन पर यह सब बीतती है, उनका तो कहना क्या ? बाढ से प्रभावित गाँव का दश्य-कछ वर्ष पर्व हमारे गाँव में भयंकर । ढ़ आई थी जिसकी याद हमारे दिल को दहला देती है। हमारा गाँव यमुना नदी के तट पर स्थित था।
उस वर्ष इतना पानी बरसा था कि उसने कई दि तक रुकने का नाम नहीं लिया। यमुना नदी का पानी किनारों को तोड़कर तेज से चारों ओर फैलने लगा। हमारा गाँव जलमग्न हो गया। गाँव के लोग अपन' आँखों से पानी से हुई बरबादी को देखकर उस पर आँसू बहा रहे थे।
लोगों क आँखों के सामने ही उनके मकान ढह रहे थे, उनका सामान बह रहा था, उनव पशु मर रहे थे। गाँवों के चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। उस सम गाँवों के सभी प्राणियों के लिए भोजन-सामग्री का अभाव था। सभी भूख र त्रस्त थे।
पशुओं को भी चारा नहीं मिल पा रहा था। कुछ समय पश्चार नौकाओं में आते हुए सैनिक दिखाई दिये जो मनुष्यों के लिए भोजन-सामग्रं तथा पशुओं के लिए चारा लेकर आ रहे थे।
इन सैनिकों ने गाँव के लोगों तथ पशुओं को बचाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया था। तभी हमें चैन मिला औ हमने संतोष की सांस ली। बाढ़ का वह भयावह दृश्य हमसे आज तक भ भुलाए नहीं भूलता है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।
शब्दार्थ-आँचल = पल्ला। अभिशाप = विनाश। हृदय-विदारक = दिल को दहला देने वाली। त्रस्त = दुःखी। नौकाओं = नावों। भयावह = डरावना।