हरित क्रांति पर हिंदी निबंध | Essay on Green Revolution in Hindi

 

 हरित क्रांति पर  हिंदी निबंध | Essay on Green Revolution in Hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम  हरित क्रांति  इस विषय पर निबंध जानेंगे। हरित क्रान्ति से अभिप्राय है कृषि-क्षेत्र में इतनी तेजी से होने वाला परिवर्तन जो सबको आश्चर्य चकित कर दे अर्थात् हरित क्रान्ति कृषि की प्रगति का प्रतीक है।


यह कृषि उत्पादन में होने वाली वह वृद्धि है जो कृषि-क्षेत्र में नई नीति या तकनीकी परिवर्तनों के लागू करने हेतु हुई है। भारत में इसकी जन्म स्थली गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि विश्वविद्यालय पन्त नगर है जहाँ से देश के कोने-कोने में नई किस्मों के बीज पहुँचे। 


आज से लगभग तीन दशक पूर्व जगजीवन राम ने कृषि के क्षेत्र में हरित क्रान्ति का बिगुल बजा दिया था। इसमें हमें आशातीत सफलता मिली। भारत में इसके फलस्वरूप गेहूँ में 2.5 गुना, धान में तीन गुना, मक्का में 3.5 गुना, ज्वार में 5 गुना तथा बाजरे में 5.5 गुना उत्पादन वृद्धि हुई है। पंजाब, हरियाणा, व उत्तर प्रदेश के गोदामों में गेहूँ रखने के लिए स्थान नहीं रहा।


फलत: गेहूँ बाजार में आधे दामों पर बिकने लगा। इस हरित क्रान्ति से देश हरा-भरा हो गया। इसका श्रेय वैज्ञानिक उपकरणों, उत्तम बीजों, रासायनिक खादों, कृषि के प्रशिक्षण, लघु सिंचाई योजनाओं, सुख-सुविधाओं व कृषि-श्रम को जाता है।


इससे देश को अनाज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक सफल दिशा मिली। हरितक्रान्ति के फलस्वरूप कृषि उत्पादन में आश्चर्य जनक वृद्धि हुई है। इससे कृषि का व्यवसायीकरण तथा ग्रामीण लोगों के आम स्तर में वृद्धि हई है।


स्व. इन्दिरा गान्धी ने मार्च 1973 में अनाज के थोक व्यापार का राष्ट्रीयकरण कर दिया। सन् 1980 के बाद उनके अथक प्रयास से हरित क्रान्ति के क्षेत्र में आशातीत सफलताएँ मिलीं। 


तत्पश्चात् सन् 1988 ई. में स्व. राजीव गान्धी की उत्प्रेरक घोषणा और सरकार द्वारा किसानों को सस्ता व अच्छा खाद, बीज और आधुनिक कृषि उपकरण आदि उपलब्ध कराने से देश में आशा से अधिक उत्पादन बढ़ा है। तब से आज तक उत्पादन में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आने पाई है। इससे देश का स्वाभिमान बढ़ा दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।