परिश्रम सफलता की कुंजी है हिंदी निबंध | Essay on ” Importance of Hard Work” in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम परिश्रम सफलता की कुंजी है इस विषय पर निबंध जानेंगे। इस अनंत विश्व में ईश्वर ने मनुष्य के लिए नाना प्रकार के ज्ञानरूपी खजाने भर रखे हैं। परिश्रम के बल पर मनुष्य उन्नत्ति के शिखर तक पहुँच सकता है। परिश्रम उसके हाथ की बात है। यदि वह परिश्रम करें तो सफलता रूपी देवी स्वयंमेव उसके गले में वरमाला पहनने के लिए तत्पर रहती है।
एक साधारण आदमी से लेकर बडे-बडे विज्ञानवेत्ताओं तक की सफलता का रहस्य परिश्रम ही है। बड़े-बडे कठोर, भयंकर, असंभव दिखाई देने वाले कार्य भी परिश्रम से सफल होते हैं। परिश्रम रूपी मंत्र के आगे असफलता का भूत टिक ही नहीं सकता।
परिश्रम के लिए जो लोग कमर कस लेते हैं वे हमेशा विजय के धनी होते हैं। आलसी और निष्क्रिय लोगों के लिए यह संसार असार है। परिश्रमी आदमी के सामने संसार के सभी सुख सदासर्वदा हाथ जोडे खडे रहते हैं। ईश्वर भी तो उन्हीं की सहायता करता है।
जीवनरूपी राह पर चलने वाले हर आदमी को अपनी मंजिल को पाना वैसे बहुत कठिन है। क्योंकि राह में अनेक बाधाएँ, रुकावटें होती हैं। एक सच्चा परिश्रमी ही इन समस्त बाधाओं को लाँधकर अपनी मंजिल तक पहुँच सकता है। परिश्रम करना भी एक कला है।
पूरे मनोयोग के साथ, तल्लीनता से परिश्रम करने की जरूरत है। एक सामान्य किसान को खेत में बीज बोने से लेकर घर में अनाज की बोरियाँ लाने के समय तक कितना कठोर परिश्रम करना पडता है ! ज्ञान, विज्ञान, उद्यम, कला आदि सभी क्षेत्रों में परिश्रम का ही बोलबोला है। कठोर परिश्रम के बिना कुछ भी नहीं होने वाला। इसलिए तो कहा गया है
"हिम्मत हारने वालों की नौका पार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।"
विद्यार्थी-जीवन में तो परिश्रम का महत्त्व अनन्यसाधारण है। परीक्षा सिर पर आती है तो परीक्षार्थी को कुछ नहीं सूझता। आराम और सुख की नींद को छोडकर वह कठोर परिश्रम के लिए कटिबद्ध हो जाता है। परिश्रम के बल पर ही वह परीक्षा का मीठा फल पा सकता है।
भारतीय तत्त्व-विचार में मोक्ष या परमात्मा की प्राप्ति को सर्वश्रेष्ठ पुरुषार्थ मान लिया गया है। इसके लिए भी कडे परिश्रम का ही सहारा लेना पडता है। प्रभुरूपी अमूल्य रत्न को पाने के लिए अनेक प्राचीन ऋषीमुनियों ने कठोर तपस्या की। सचमुच, इसी परिश्रमरूपी कुँजी के सहारे मनुष्य उस भव्य प्रासाद के ताले खोल सकता है,
जिसमें न जाने कितना बडा अमूल्य भांडार भरा पड़ा है। मनुष्य-जीवन में श्रम का अत्याधिक महत्त्व है। दुर्भाग्य से आज परिश्रम से जी चुराने की वृत्ति बढती जा रही है। इसके दुष्परिणाम भी हमें भुगतने पड रहे हैं। जीवन को सुखी, समृद्ध तथा स्वास्थपूर्ण बनाने के लिए परिश्रम की आवश्यकता है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।