के आर नारायणन पर हिंदी निबंध | Essay on KR Narayanan in Hindi

 

के आर नारायणन पर हिंदी निबंध | Essay on KR Narayanan in Hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम  केआर नारायणन इस विषय पर निबंध जानेंगे। प्रस्तावना-राष्ट्रपति का पद गरिमा का पद है। आजकल इस पद को भारत के दसवें राष्ट्रपति डॉ. के. आर. नारायणन सुशोभित कर रहे हैं। ये महान शक्षाविद्, कुशल राजनीतिज्ञ तथा श्रेष्ठ प्रशासक हैं। इसके अतिरिक्त ये एक हृदय, विद्वान एवं योग्यतम व्यक्ति हैं।


अत्यन्त निर्धन परिवार में जन्म लेकर ष्ट्रपति बनने वाले आप दूसरे राष्ट्रपति हैं। आप पहले राष्ट्रपति हैं जिनका 'नाव योग्यता के आधार पर नहीं, वर्गगत आधार पर हुआ है। ये दलित हैं, सलिए राष्ट्रपति चुने गए हैं। जन्म और शिक्षा-श्री के. आर. नारायणन का जन्म 27 अक्टूबर सन् 920 को केरल प्रांत के कोट्टयम जिले के उझावूर गाँव में हुआ था।


आपके ता श्री रामन वैद्य थे। आप आस-पास के क्षेत्र में सम्मानित होते हुए भी र्धनतापूर्ण जीवन बिता रहे थे। आपने प्रारम्भिक शिक्षा अपने गाँव में ही प्राप्त । थी। योग्य छात्र होने तथा कविता रचने के कारण आप अपने शक्षकों का पार स्नेह पाते रहे। 


आप पढ़ने में मेधावी थे, अतः ट्रावनकोर विश्वविद्यालय सर्वाधिक अंक पाकर बी.ए. की उपाधि प्राप्त की। __पद और कार्य-सन् 1943 ई. में अंग्रेज़ी में एम.ए. पास करके ये करी की तलाश में जुट गए। ये सन् 1944-45 में पत्रकार बने। सबसे पहले होंने 'कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री' नामक पत्र में काम किया। इसके बाद ये 'द म्स ऑफ इण्डिया' (मुम्बई) के संवाददाता तथा 'द हिन्दू' के उपसम्पादक को सुशोभित किया।


लेखन तथा पत्रकारिता के कारण 'टाटा छात्रवृत्ति कर आप अर्थशास्त्र में अध्ययन के लिए लंदन गए। वह' इन्होंने स्कूल ऑफ नोमिक्स' में अध्ययन किया। वहाँ से उपाधि प्राप्त कर सन् 1948 में जब स्वदेश लौटे तो विदेश सेवा विभाग में कार्य करने लग गये। 


फिर आपको स्थित भारतीय दूतावास में भेज दिया गया, वहाँ रहते हुए आपका एक युवती मॉर्तितर्तित से प्रेम हो गया तथा नेहरू जी के प्रयासों से आप 8 जून 1 को उस युवती के साथ विवाह-सूत्र में बंध गए। सन् 1976 में आप


राजदूत बनकर चीन गए तथा वहाँ से लौटकर 1978 ई. तक, विदेश मंत्राला, में विदेश सचिव के पद पर कार्य करते रहे। राजनीतिक जीवन-सन 1984 ई. में आप कांग्रेस के उम्मीदवार बनक केरल राज्य से चुनाव जीतकर लोकसभा में आ गए और क्रमश: योज। 


मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिक मंत्रालयों में राज्यमन्त्री के सा में योग्यतापूर्वक कार्य करते रहे। इसके बाद आप 21 अगस्त 1992 को महाभारत के उपराष्ट्रपति बने। तब से लेकर राष्ट्रपति का सर्वोच्च पद संभालने त आप उसे सुशोभित करते रहे। 


25 जुलाई 1997 को डॉ. शंकर दयाल शर्मा र द्वारा राष्ट्रपति का पद रिक्त किए जाने के पश्चात् आप भारत के उस सर्वान पद पर अपनी योग्यता तथा व्यक्तित्व के आधार पर आज तक विराजमान तथा इसकी गरिमा को निरन्तर बढ़ा रहे हैं।


उपसंहार-महामहिम राष्ट्रपति श्री के. आर. नारायणन का व्यक्तित्वए निरन्तर प्रगतिशीलता का जीवंत इतिहास है। आप कवि, सफल लेखक त कुशल राजनीतिज्ञ हैं। हमारी कामना है कि आपकी छत्रछाया में भारत प्रत्येक नागरिक चिरकाल तक मार्गदर्शन प्राप्त करता रहे। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।


शब्दार्थ-गरिमा = महिमा, गौरव। सहृदय = दयालु। मेधावी = बुद्धिमान सुशोभित = शोभायमान। सर्वोच्च = सबसे ऊँचा। चिरकाल = लम्बे सम। तक।