जादूगर पर निबंध | Essay on magician in hindi

 

जादूगर पर निबंध | Essay on magician in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम जादूगर इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। जादूगरी के क्षेत्र में मैंने बहुत नाम कमाया है। इन पेशे में मुझे पैसे भी खूब मिले हैं। मेरे जादू के खेल के दीवाने तो हजारों लोग हैं। पर आज आपने मेरी जिंदगी के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की है, इस बात की मुझे बहुत खुशी है। 


आज मैं आपके सामने अपने जीवन की किताब खोल रहा हूँ। कहावत है-'पूत के पाँव पालने में ही परख लिए जाते हैं। मुझे बचपन से ही जादू से बहुत लगाव था। किसी जादूगर को खेल दिखाते देख लेता, तो मेरे पाँव चलते-चलते थम जाते। पूरा खेल देखे बिना टस-से-मस न होता। 


भले ही स्कूल पहुँचने में देर हो जाए। घर में तो कई बार इस शौक के कारण मुझे डाँट खानी पड़ती थी। मेरे पिताजी के एक मित्र थे। वे जादू के कुछ छोटे-मोटे खेल जानते थे। मैंने उनसे ताश के पत्तों के कई करतब सीख लिये थे। उन्होंने मुझे अंडा गायब करने की हाथ की सफाई सिखाई थी। 


मैं बहुत सफाई से यह खेल दिखाता था। देखकर लोग दंग रह जाते थे। वे मुझे 'नन्हा जादूगर' कहने लगे थे। लेकिन मैं एक महान जादूगर बनना चाहता था। बड़ा होकर मैंने कई उस्तादों से जादू के खेल सीखे। धीरे-धीरे बड़े-बड़े शहरों में जादू के मेरे कार्यक्रम होने लगे। 


दर्शक मेरे खेल देखकर वाह-वाह करने लगते। मैं बोरे में बंद लड़के को गायब कर देता था। खाली डिब्बे में से कबूतर निकाल कर दिखा देता था। हॉल में बैठे दर्शकों की कलाई घड़ियों के काँटे रोक देता था। एक रुपये का नोट सौ रुपये के नोट में बदल जाता था। इतना चमत्कार तो दर्शकों को चौंकाने के लिए काफी था। 


कुछ ही वर्षों में देश-विदेश में मेरे नाम की धूम मच गई। मुझे नाम और दाम दोनों खूब मिले। मैंने लगभग ३५ वर्ष तक देश-विदेश में घूम-घूमकर जादू के खेल दिखाए। मैंने जादू की दुनिया में एकछत्र राज किया। पर अब मैं बूढ़ा हो चुका हूँ। अब मेरे हाथ काँपने लगे हैं। इसलिए अब मैंने जादू के खेल दिखाना बंद कर दिया है। 


अब मेरा बेटा जादू के खेल दिखाता है। वह भी एक मशहूर जादूगर बन गया है। आजकल मैं जादू के खेल सिखाने का एक स्कूल चलाता हूँ। इसमें जादू सीखनेवालों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। मुझे विश्वास है कि मेरे विद्यार्थी एक दिन जरूर महान जादूगर बनेंगे। 


वे भविष्य में अपना और मेरा नाम रोशन करेंगे। बस, यही है मेरे जीवन की कहानी ! मेरे प्रति आपने जो दिलचस्पी दिखाई है, उसके लिए धन्यवाद ! दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।