परोपकार पर हिंदी निबंध | ESSAY ON PAROPKAR IN HINDI
नमस्कार दोस्तों आज हम परोपकार इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। परोपकार का अर्थ है- निःस्वार्थ भावना से दूसरों की भलाई करना। हमारे संतों ने परोपकार को सबसे बड़ा धर्म बताया है।
सूर्य हमें प्रकाश देता है। नदियाँ हमें अपना ठंडा-मीठा जल देती हैं। पेड़ हमें फल और छाया देते हैं। फूल अपनी सुगंध से लोगों को प्रसन्न करते हैं। धरतीमाता के हम पर अनेक उपकार हैं। उसीसे हमें तरह-तरह के अन्न और वनस्पतियाँ मिलती हैं। इस प्रकार प्रकृति हमें परोपकार की शिक्षा देती है।
प्रकृति के हम पर अनंत उपकार हैं। परोपकार की भावना होने पर ही लोग समाज की सेवा कर सकते हैं। परोपकार की इच्छा से ही धनवान लोग अस्पताल बनवाते हैं, पाठशालाएँ खुलवाते हैं, कुएँ खुदवाते हैं, प्याऊ शुरू करवाते हैं। अनेक धर्मशालाएँ परोपकार की भावना से ही बनवाई गई हैं।
समाज में शिक्षा और ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए पुस्तकालय और वाचनालय खोले जाते हैं। कई संस्थाएँ गरीब विदयार्थियों को मुफ्त पुस्तकें, कापियाँ और गणवेश देती हैं। इन सब अच्छे कामों के पीछे मनुष्य की परोपकार-भावना ही काम करती है।
मानव-समाज के लिए परोपकार का बड़ा महत्त्व है। इससे दीन-दुखियों का काम होता है। दूसरों की नि:स्वार्थ सहायता से गरीब विद्यार्थी भी ऊँची शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। परोपकार की भावना से किए गए सामाजिक कामों से लोगों को बड़ी राहत मिलती है।
बाढ़, अकाल और भूकंप से पीड़ित लोगों की मदद परोपकार की भावना से ही हो सकती है। परोपकार को धर्म माननेवाले लोग समाज में आदर पाते हैं। राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, ईसा आदि ने परोपकार करके ही अपना नाम अमर किया है। सचमुच, परोपकार ही भगवान की सच्ची पूजा है।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।