डाकिया पर निबन्ध | Essay on Postman in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम डाकिया इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। डाक-सेवा का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। डाक से आनेवाली चिट्ठियाँ और पार्सल घर-घर लाकर पहुँचाने का काम डाकिया ही करता है।
आजकल टेलीफोन और अन्य सुविधाओं के कारण डाक-सेवा का महत्त्व कुछ कम हो गया है। फिर भी हमारे सामाजिक जीवन में डाकिए का स्थान आज भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। खाकी पोशाक पहने हुए डाकिया, सचमुच सेवा की मूर्ति जैसा लगता है।
डाकघर खुलते ही डाकिए का काम शुरू हो जाता है। वह जगह-जगह बनी हुई पत्र-पेटियों से चिट्ठियाँ निकाल कर उन्हें डाकघर पहुँचाता है। वह अपने इलाके की डाक अपने खाकी थैले में भरकर उन्हें बाँटने के लिए निकल पड़ता है।
उसके थैले में पोस्टकार्ड, अंतरदेशीय पत्र तथा लिफाफों के अलावा रजिस्टर्ड पत्र, पत्रिकाएँ व मनीआर्डर भी होते हैं। पत्रों पर लिखे पतों के अनुसार वह घर-घर जाकर पत्र पहुँचाता है। मनीआर्डर की रकम वह लोगों के हाथों में सौंपता है। डाकिया केवल अपने काम से काम रखता है। न किसी से बातचीत, न किसी से हँसी-मजाक !
डाकिए के आने का समय लगभग निश्चित रहता है। लोग उसकी प्रतीक्षा उत्सुकतापूर्वक करते हैं। डाकिए के आते ही लोगों का चेहरा खिल उठता है। उनकी आँखों में चमक आ जाती है। डाकिया वह फरिश्ता है, जो दो दिलों के फासले को दूर कर देता है। ज्यादातर लोगों के लिए वह खुशी का ही संदेश लाता है। कुछ लोगों को दुखभरे समाचार भी मिलते हैं।
डाकिया कड़ी मेहनत करता है। चिलचिलाती धूप, भीषण ठंड और घनघोर बरसात में भी वह अपना काम बंद नहीं रखता। वह अपना काम बहुत ईमानदारी से करता है। उसे रोज कई किलोमीटर चलना पड़ता है। शहरों में चिट्ठियाँ बाँटने के लिए डाकिए को ऊँचे-ऊँचे मकानों की सीढ़ियाँ चढ़नी-उतरनी पड़ती हैं। फिर भी उसके चेहरे पर शिकायत के भाव नहीं दिखते।
वैसे तो डाकिया सरकारी कर्मचारी है। परंतु वह समाज का एक महत्त्वपूर्ण सेवक है। उसकी सेवा के बिना हमारा काम नहीं चल सकता। हमें डाकिए के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।