सड़क दुर्घटना पर निबंध हिंदी | Essay On Road Accident In Hindi

 

 सड़क दुर्घटना पर निबंध हिंदी | Essay On Road Accident In Hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम सड़क दुर्घटना इस विषय पर निबंध जानेंगे। भूमिका-आधुनिक युग में जहाँ विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को जितना सुखमय एवं सुगम बनाया है, वहाँ उतना ही असुरक्षित और अनिश्चित भी यातायात के साधनों में वृद्धि के साथ-साथ दुर्घटनाओं में भी उतनी ही वृद्धि हुई है। 


घर से बाहर निकलने पर मनुष्य को यह विश्वास नहीं है कि वह सकुशल घर वापस आएगा भी या नहीं। नित्यप्रति सड़क दुर्घटनाओं की अनेक गाथाएँ हमें समाचारपत्रों में पढ़ने को मिलती है। सड़क दुर्घटनाओं में भारत की राजधानी दिल्ली सबसे आगे है।


दुर्घटना घटने के कारण-दुर्घटनाओं के घटने का न समय निश्चित होता है और न परिस्थितियाँ। ये दुर्घटनाएँ न समय को देखती हैं और न मनुष की उपयोगिता को। ये न वृद्ध को देखती है, न युवा को। इनकी दृष्टि धनवान तथा निर्धन सब एक समान हैं। 


इन दुर्घटनाओं का तो बस कुचक्र चलता ही रहता है। इन भयंकर दुर्घटनाओं का मल कारण है हमारी जल्दबाज व लापरवाही। हमारी जरा-सी लापरवाही व जल्दबाजी हमें अनर्थकारी गड्ढे ढकेल देती है। यातायात के नियमों को ताक पर रख देते हैं और किसी


किसी यातायात के तीव्रगामी साधन से टकराकर भयंकर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं तथा अपने अमूल्य जीवन का बलिदान कर देते हैं। हृदय-विदारक सड़क दुर्घटना-ऐसी ही एक हृदय-विदारक सड़क दुर्घटना 12 जून, 2000 ई. को घटी, जब मैं दरियागंज से कश्मीरी गेट की ओर आ रहा था। 


दोपहर का समय था। स्कूलों के कुछ बच्चे साईकिलों पर बड़ी लापरवाही से गपशप करते हुए चले जा रहे थे। ऐसा मालूम हो रहा था जैसे साईकिलों पर कोई जुलूस हो। दूसरी ओर से मारुति चालकों की आगे निकलने की होड़ तथा प्राइवेट बसों की पों-पों एक अनोखा दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। 


हमारी बस भी सबसे पीछे आ रही थी। उस समय लालकिले के चौराहे की स्वचालित बत्तियाँ भी काम नहीं कर रही थीं। चौराहे पर खड़ा होने वाला सिपाही भी वहाँ नहीं था। ऐसी स्थिति में वाहन चालकों पर कोई नियन्त्रण नहीं था। अत: सड़क दुर्घटना अवश्यम्भावी थी। 


इतने में चाँदनी चौक से एक मिनी बस आई और मारुति कार से टकरा गई और मारुतिकार साईकिल समह से। परिणाम यह हुआ कि एक लड़का साईकिल सहित मारुति कार के नीचे तथा दूसरा मिनी बस के नीचे। 


एक लड़के की तो दुर्घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई और दूसरा बुरी तरह घायल। कुछ लड़कों को बहुत चोटें आईं। उन सभी को घायलावस्था में हस्पताल ले जाया गया। सड़क पर चारों ओर खून-ही खून दिखाई दे रहा था। वहाँ का वातावरण चीख-पुकार से गूंज रहा था। 


आस-पास के लोग वहाँ जमा हो गए थे। उन्होंने उन सभी को सँभाला। थोड़ी देर में पुलिस भी वहाँ पहुँच गई और उसने भीड़ को तितर-बितर कर दिया। यह दृश्य बड़ा ही दर्दनाक था।


उपसंहार-पुलिस के वहाँ पहुँचने से पहले मिनी बस का ड्राइवर भाग खुका था। मारुति कार के चालक को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया। इस मृतक लड़के के शव को पोस्ट मार्टम के लिए भेज दिया गया। इस र्दनाक दृश्य को देखकर सभी दर्शकों की आँखों में आँसू आ गए थे। 


यह करूण दृश्य दिल को दहला देने वाला था। उस दर्दनाक दृश्य को याद करके माज भी मेरा दिल भर आता है। दिल्ली की सड़कों पर ऐसी हृदय-विदारक र्घटनाएँ आए दिन घटती ही रहती हैं। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।


शब्दार्थ-गाथाएँ = किस्से। तीव्रगामी = तेज चलने वाले। हृदय-विदारक = दिल को दहला देने वाली। अवश्यम्भावी = जरूरी होने वाली। दर्दनाक = दर्द देने वाली। मृतक = मरा हुआ। तितर-बितर करना = इधर-उधर करना।