विद्या का महत्व हिंदी निबंध | Essay on Shiksha ka Mahatva

 

 विद्या का महत्व हिंदी निबंध | Essay on Shiksha ka Mahatva

नमस्कार  दोस्तों आज हमविद्या का महत्व इस विषय पर निबंध जानेंगे। विद्या का लक्षण-किसी भी वस्तु का वास्तविक ज्ञान प्राप्त करना ही विद्या है। विद्या से मनुष्य देवता बनता है। विद्या से मनुष्य जड़ता को छोड़कर चेतन बनता है। जो मानव किसी प्रकार की विद्या जानता है, वह उसका पण्डित कहलाता है। 


लकड़ी की विद्या को जानने वाला बढ़ई, मूर्तिकला की विद्या को जानने वाला मूर्तिकार आदि कहलाते हैं। विद्या के गुण-विद्या मानव-जीवन का वास्तविक शृंगार है। इसके बिना मनुष्य बिना सींग और पूँछ का पश है। इसके बिना किसी भी वस्तु का ठीक-ठीक ज्ञान नहीं होता है। 


विद्या विनय को जन्म देती है। विनय से योग्यता प्राप्त होती है। योग्यता से धन प्राप्त होता है और इसके बाद मनुष्य को सच्चे सुख की प्राप्ति होती है। विद्या ऐसा अमूल्य धन है जिसे न चोर चुरा सकता है, न राजा छीन सकता है, न भाई-बन्धु बाँट सकते हैं, न पानी गला सकता है और न ही आग जला सकती है। एक बार धन खर्च करने से घट सकता है जबकि विद्या देने से बढ़ती है।


विद्यावान व्यक्ति की विशेषताएँ-संसार में जो भी व्यक्ति यशस्वी और महान हए हैं, वे अवश्य ही विद्यावान रहे हैं। विद्यावान व्यक्ति समाज में आदर की दृष्टि से देखा जाता है। विद्यावान व्यक्ति अपनी अनुपम विशेषताओं के कारण हमेशा ही प्रशंसनीय जीवन व्यतीत करता है। ऐसा व्यक्ति समाज से कलंक को दूर कर सकता है, वह कभी भी भूखा नहीं रह सकता है। उस व्यक्ति में दूसरों को आकृष्ट करने के लिए अद्भुत चेतना होती है।


प्राचीन काल में विद्या-प्राचीन काल में केवल ब्राह्मण को ही विद्या प्त करने तथा विद्या दान करने का अधिकार था। परन्तु आज की स्थिति सके विपरीत है। आज कोई भी विद्या प्राप्त कर सकता है और कोई भी विद्या सकता है। 


प्राचीन काल में विद्या का दान होता था। गुरु या आचार्य विद्या ने के लिए अपने शिष्य से कुछ धन या अन्य कोई वस्तु नहीं लेते थे। दूसरी जोर उनके शिष्य भी सच्ची निष्ठा की भावना से विद्या प्राप्त करने में लीन हो जाते थे तथा गुरु की सेवा निष्कपट होकर करते थे।


वर्तमान काल में विद्या-आज सभी गुरु हैं और सभी विद्यार्थी हैं। आज वद्या के स्वरूप में भी परिवर्तन आ गया है। आज विद्या एक क्षेत्र की नहीं, अपितु अनेक क्षेत्रों की हो गई है। 


कला-संस्कृति, ज्योतिष, धर्म, विज्ञान, साहित्य आदि न जाने कितनी विधाएँ हो गई हैं। जीवन के किसी भी क्षेत्र में जो योग्य हो जाता है उसे गुरु या आचार्य के रूप में सम्मान दिया जाता है। अत: आज विद्या का वह स्वरूप नहीं है जो प्राचीन काल में था।


 उपसंहार-वास्तव में विद्या हमारे लिए कल्पवृक्ष के समान है। यह सुख, ऐश्वर्य, यश, आदर और धन देती है। इसकी सहायता से हम अपनी प्रत्येक इच्छा की पूर्ति का समाधान कर सकते हैं। विद्या के महत्त्व को देखते हुए हमें इसे प्राप्त करने के लिए कमर कस लेनी चाहिए और हमें चाहिए कि विद्या के प्रचार के लिए तन, मन और धन से जुट जाएँ और देश की अज्ञानता को दूर करने के लिए अपनी सरकार का हाथ बटाएँ। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।


शब्दार्थ-जड़ता = बेजान। वास्तविक = असलियत। यशस्वी = (बड़ाई पाने वाले। कलंक = धब्बा। विपरीत = उल्टा। समाधान = हल।