जल संकट पर निबंध | Essay on Water Crisis Hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम जल संकट इस विषय पर निबंध जानेंगे। जल और वायु पर्यावरण के विशिष्ट पहलू हैं। जल के अभाव में पिछले कुछ समय में गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश को विगत सौ वर्षों में सबसे भयानक सूखे का सामना करना पड़ा। जल के अभाव के कारण इन राज्यों में हजारों की संख्या में पशु-पक्षी, मनुष्य तथा पेड़-पौधे एक-एक बूंद के लिए तड़प कर दम तोड़ गए।
पर्यावरण से लेकर आज समस्त विश्व में जिस प्रकार के गंभीर चिंतन की स्थिति बनी हुई है, उसे देखकर यह स्पष्ट होता है कि यदि दो-चार दशक तक ऐसी स्थिति बनी रही तो सम्पूर्ण विश्व पर भारी संकट आना निश्चित है। यूनेस्को की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा का 97.2 प्रतिशत है।
पृथ्वी पर पाए जाने वाले कुल जल का दशमलव छह प्रतिशत भाग ही मानव प्रयोग हेतु मृदु जल के रूप में प्राप्त है। यह जल दो रूपों में उपलब्ध है। एक तो भूमिगत जल के रूप में जमीन के अन्दर और दूसरे, सतही जल के रूप में जमीन के ऊपर नदियों, झीलों और तालाबों में।
मृदु जल का लगभग 97.74 प्रतिशत भाग भूमिगत जल के रूप में पृथ्वी की निचली परतों में उपलब्ध है और शेष 2.26 प्रतिशत सतही जल में से 1.47 प्रतिशत भाग झीलों में, 0.78 प्रतिशत भाग मिट्टी में नमी के रूप में तथा मात्र 0.01 प्रतिशत भाग नदियों और धाराओं के रूप में मिलता है।
इस संदर्भ में ध्यातव्य है कि पूरे संसार में होने वाली जलापूर्ति का लगभग 95% भाग भूमिगत जल से ही पूरा किया जाता है और शेष 5% जलापूर्ति सतही जल अर्थात नदियों, झीलों और नहरों आदि से होती है।
हमारे देश में जल की पर्याप्त उपलब्धता है, लेकिन प्रति व्यक्ति जल का उपयोग बहुत कम है। भारत में प्रति व्यक्ति जल का उपयोग मात्र 610 घन मीटर प्रतिवर्ष है जबकि ऑस्ट्रेलिया, अर्जेन्टीना, अमेरिका और कनाडा में यह 1000 घन मीटर प्रतिवर्ष से भी अधिक है।
इसी प्रकार घरेलू उपयोग में हम केवल 8% जल का ही उपयोग कर रहे हैं। जबकि इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और कनाडा आदि देशों में यह उपयोग 5 गुना से भी अधिक है। लगभग ऐसी ही स्थिति औद्योगिक क्षेत्र में भी पाई जाती है।
पानी का अध्ययन करने वाले विद्वानों का मत है कि एक व्यक्ति को साल भर में औसतन 1700 घन मीटर से ज्यादा पानी की आवश्यकता है। जिस देश या क्षेत्र में पानी की उपलब्धता प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 1000 घन मीटर से कम हो जाती है तो माना जाता है कि वहां पानी का जबर्दस्त अभाव है। जब यही आंकड़ा 540 घन मीटर से नीचे चला जाता है तो उस इलाके में पानी का अकाल माना जाता है।
जहां तक हमारे देश में जल संकट के लिए जिम्मेदार कारणों की बात है तो इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। दरअसल आजादी के बाद जो भी जल नीतियां अपनाई गईं उनसे हमारे 'हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम' (जल-प्रणाली) पर गहरा आघात पहुंचा है।
1947 में हमारे देश में पानी की प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति उपलब्धता 6000 घन मीटर थी जो 1997 में घटकर मात्र 2266 घन मीटर रह गई। यदि जल की मात्रा के घटने का अनुपात यही रहा तो नि:संदेह 2047 तक हमारे देश में जल-संकट विस्फोटक हो जाएगा। यूं तो इस समय हमारे देश में पानी की प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति उपलब्धता 2000 घन मीटर से ज्यादा है लेकिन समस्या क्षेत्रीय विषमता की है।
गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश के शुष्क इलाकों में पानी की उपलब्धता के आंकड़ों में भारी अंतर है। कहीं 750 घन मीटर पानी उपलब्ध है तो कहीं 3000 घन मीटर से भी ज्यादा। यही कारण है कि समूचे देश में वार्षिक प्रति व्यक्ति 2000 घन मीटर पानी की उपलब्धता के बाद भी उन क्षेत्रों में पानी का अकाल पड़ जाता है, जहां पानी 500 घन मीटर से कम उपलब्ध है।
भू-जलस्तर का बहुत नीचे चला जाना भी जल संकट का एक प्रमुख कारण है। भू-जलस्तर के लगातार नीचे जाने से सबसे ज्यादा प्रभावित गांव के लोग हैं। दूसरी बात यह है कि वर्षा के पानी का समुचित भण्डारण नहीं होने से सिर्फ उसी इलाके में पानी का संकट नहीं है जहां अपेक्षाकृत कम वर्षा होती है बल्कि उन इलाकों में भी यह संकट है जहां सर्वाधिक वर्षा होती है।
भूमिगत जल स्तर के नीचे जाने का प्रमुख कारण है हमारी उस पर अत्यधिक निर्भरता। हमारे देश में विश्व का सर्वाधिक अर्थात 150 अरब घन मीटर जल प्रतिदिन निकाला जाता है। कृषि और घरेलू उपयोग हेतु भूमिगत जल की बढ़ती मांग की पूर्ति हेतु प्रति वर्ष लगभग पौने दो लाख ट्यूबवेल लगाए जा रहे हैं जिससे जल-स्तर में गिरावट स्वाभाविक है।
भारत में पिछले दशकों में देश की जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने हेतु अनेक योजनाएं और कार्यक्रमों को शुरू किया गया जहां तक जल-समस्या के समाधान का प्रश्न है, तो इसके लिए बहुतस्तरीय प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
वे सूखा और अकाल की स्थितियों के लिए प्रकृति को दोषी मानते हैं, उन्हें दैवीय प्रकोप समझते हैं। वैज्ञानिक जानकारी के अभाव में वे जल का दुरुपयोग रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठा पाते।
इतिहास गवाह है कि जब शम्सी तालाब सूख गया तब महरौली वीरान हो गई। ऐसी ही स्थिति हौजखास के सूखने पर खिल्जियों की और यमुना द्वारा अपनी धारा बदलने पर तुगलकाबाद की हुई थी। मुगलों के समय में पानी के अभाव में बसा-बसाया शहर फतेहपुर सीकरी वीरान हो गया। आज भी यह स्थिति दोहराई जा सकती है।
सरकारी प्रयासों के साथ जन सामान्य का जागरूक होना भी अनिवार्य है। जरूरत है समाज के दृष्टिकोण में परिवर्तन की। सरकारी और गैर सरकारी संगठनों तथा त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रयासों में समन्वय लाकर ही इस दिशा में जनचेतना का विकास किया जा सकता है।
एक ध्यान देने योग्य बात यह है कि वर्षा के पानी का समुचित भण्डारण न होने के कारण सिर्फ उसी इलाके में पानी का संकट नहीं है, जहां कम वर्षा होती है बल्कि उस क्षेत्र में भी यह संकट है जहां सबसे अधिक वर्षा होती है। चेरापूंजी (मेघालय)
भारत का ऐसा स्थान है, जहां औसतन 11 हजार मि.मी. वर्षा होती है लेकिन जल का संकट वहां भी देखने को मिलता है। जल-प्रबन्धन के प्रति सरकार और लोगों का उपेक्षात्मक व्यवहार ही जल-समस्या के लिए जिम्मेदार है। विश्व जल-आयोग के सदस्य डॉ. अनिल अग्रवाल का यह कथन सौ प्रतिशत सत्य है कि जलसंकट प्राकृतिक नहीं है और सरकार और इंसानी सोच में बदलाव लाकर ही इसका निदान किया जा सकता है।
आज हमारे देश में पेयजल की समस्या जनसंख्या विस्फोट के बाद दूसरी सर्वाधिक भयावक समस्या है, यदि समय रहते इस समस्या से नहीं निपटा गया तो भविष्य में इसके परिणाम भयानक हो सकते हैं। जल को अति विशिष्ट प्राकृतिक संसाधन, मानव की मूलभूत आवश्यकता तथा अमूल्य राष्ट्रीय निधि के रूप में स्वीकारते हुए जहां संसाधन के नियोजन और विकास के लिए
1987 में देश की राष्ट्रीय जल नीति घोषित की गई। इससे पूर्व 1973 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा अपनी अध्यक्षता में राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद का गठन किया गया। यह संस्थान जल संसाधन के उपयोग और विकास से सम्बन्धित राष्ट्रीय नीति निर्णय तथा कार्यों की शीर्ष संस्था थी।
भूमिजल के निरंतर गिरते स्तर को ऊपर उठाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त बड़े शहरों में रेन हारवेस्टिंग तकनीक अपनाने पर बल देना होगा। देश की प्रमुख नदियों को आपस में जोड़ने की जो कार्य योजना है, यदि वह सिरे चढ़ गई तो पेयजल की समस्या से काफी हद तक निजात पाई जा सकती है।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।