गांव की सैर पर हिंदी निबंध। Gaon ki sair par nibandh
नमस्कार दोस्तों आज हम गांव की सैर इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। होली की छुट्टियों में मैं अपने मित्र राजू के साथ उसके गाँव गया। राजू के माता-पिता और उसके छोटे भाई बहन गाँव में रहते हैं। सभी ने मुझे बहुत स्नेह दिया।
मैं एक सप्ताह उनके साथ गाँव में रहा। इन सात दिनों में गाँव के बारे में मुझे बहुत कुछ जानने को मिला। मैंने गाँव के जीवन की सरलता और मधुरता का प्रत्यक्ष अनुभव किया। गाँव में मुझे अद्भुत शांति का भी अनुभव हुआ। राजू का घर पक्का था। उसकी स्वच्छता और सुंदरता देखने लायक थी। उस घर में शहर की सभी सुविधाएँ उपलब्ध थीं।
गाँव के लोग भोले-भाले और मेहनती होते हैं। उनके हृदयों में स्नेह और आत्मीयता होती है। वे ज्यादा पढ़े-लिखे तो नहीं होते, पर उनमें मानवता कूट-कूट कर भरी हुई होती है। वे जेब से भले गरीब थे, पर दिल के अमीर थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि सच्चा भारत गाँवों में बसता है।
राजू के गाँव में मैंने गांधीजी के इस कथन की सच्चाई का अनुभव किया। वहाँ मैंने ग्राम पंचायत का शुद्ध और सुलभ न्याय भी देखा। गाँव के कारीगरों और मजदूरों में मैंने ईमानदारी के दर्शन किए।
राजू के गाँव में कई मंदिर थे। मैंने उन मंदिरों में जाकर भगवान के दर्शन किए। गाँव में एक पाठशाला भी थी। मैं वहाँ भी गया। बच्चे जमीन पर बिछे टाट पर कतार में बैठे हुए पढ़ रहे थे। सभी बच्चे खूब स्वस्थ थे। मैंने गाँव के हरे-भरे खेतों की खूब सैर की।
खेतों में चना, मटर और गेहूँ की फसलें लहलहा रही थीं। खेतों में दूर-दूर तक फूली हुई सरसों मन मोह लेती थी। कहीं कहीं कुएँ के पानी से खेतों की सिंचाई हो रही थी। मैं अपने मित्र के खेत में भी गया। उसने मुझे वहाँ जो मूली खाने को दी, उसका स्वाद अनोखा था।
आम के बगीचे में गाँव के लड़के गुल्ली-डंडा खेल रहे थे। सारी अमराई बौरों की सुगंध से महक रही थी। ऐसा सुहाना दृश्य मैंने पहली बार देखा था। गाँव के इस सरल और सादे जीवन का मुझ पर गहरा असर पड़ा। मैं उस गाँव में एक सप्ताह तक रहा। वह समय आज भी मेरी यादों के खजाने में सुरक्षित है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।