हीरे की आत्मकथा हिंदी में निबंध | heere ki atmakatha in hindi essay

 

 हीरे की आत्मकथा हिंदी में निबंध | heere ki atmakatha in hindi essay


नमस्कार  दोस्तों आज हम  हीरे की आत्मकथा  इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। जी हाँ, मैं हीरा हूँ। संसार मुझे सबसे अनमोल रत्न के रूप में जानता है। मेरी चमक-दमक में जितना आकर्षण है, उतना शायद ही और किसी में हो।


अपने जन्म के समय के बारे में मुझे कुछ भी याद नहीं है। मध्यप्रदेश में पन्ना नाम का एक स्थान है। वही मेरी जन्मभूमि है। वहाँ की एक खान से मुझे खोदकर निकाला गया था।


शुरू में तो मैं बहुत बदसूरत था। फिर वहाँ के एक कारखाने में मुझे कई तरह से तराशा गया। तराशने के बाद तो मेरा रूप ऐसा निखरा कि मैं खुद दंग रह गया। मैं कुछ दिन तक वहीं पड़ा रहा। बस इसे ही आप मेरा बचपन मान सकते हैं।


एक दिन मुझ पर एक व्यवसायी की दृष्टि पड़ी। उसने फौरन मुझे खरीद लिया। मैंने सोचा कि इसके पास मैं मजे से रहूँगा। पर मेरे भाग्य में तो कुछ और ही लिखा था। वह व्यवसायी एक होटल में ठहरा था। जब व्यवसायी पलंग पर लेटे-लेटे मेरा निरीक्षण कर रहा था, तब वहाँ के एक कर्मचारी ने मुझे देख लिया। वह बहुत चतुर था। उसने बड़ी सिफत से मुझे चुरा लिया।


उस चोर को अपनी पत्नी से बहुत प्रेम था। उसने पत्नी के लिए नथ बनवाई और उसमें मुझे जड़वा दिया। उसकी पत्नी उस चमक-दमक वाली नथ को देखकर बहुत प्रसन्न हुई, परंतु उसे पहनने का साहस न कर सकी।


कई सालों से मैं उसके संदूक में पड़ा-पड़ा अपने दुर्भाग्य पर पछता रहा हूँ। जिसे किसी बादशाह के ताज में होना चाहिए, वह यहाँ एक मामूली नथ में जड़ा हुआ है। यहाँ मेरा दम घुट रहा है। हे विधाता! तूने मुझे हीरा बनाकर इतना बदनसीब क्यों बनाया? दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।