विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध | Hindi Essay on Anniversary of the school

 

विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध | Hindi Essay on Anniversary of the school

नमस्कार  दोस्तों आज हम  विद्यालय का वार्षिकोत्सव इस विषय पर निबंध जानेंगे।इस लेख मे कुल 3 निबंध दिये गये हे जिन्‍हे आप एक -एक करके पढ सकते हे । अध्ययन अथवा शिक्षा के दौरान मनाये जाने वाले उत्सव को विद्यालय का वार्षिकोत्सव कहा जाता है। वार्षिकोत्सव विद्यालय की प्रगति एवं उन्नति का परिचायक होता है।


जिस प्रकार से हमारे जीवन में धार्मिक त्यौहारों का स्थान है उसी प्रकार से ही हमारे जीवन में राष्ट्रीय त्यौहारों का भी वही स्थान है। यह पर्व हर्ष एवं उल्लास भरा होता है।हमारे विद्यालय में वार्षिकोत्सव हमेशा 3 जनवरी को मनाया जाता है। इस उत्सव की तैयारियाँ लगभग 20 दिन पूर्व ही शरू हो जाती हैं। जो छात्र सांस्कृतिक कार्यक्रम अथवा नृत्य संगीत आदि में रुचि रखते हैं, वो कई दिनों पूर्व ही अपनी कला प्रस्तुत करने के लिए तैयारी में जुट जाते हैं।


प्रत्येक वर्ष 3 जनवरी को हमारा विद्यालय अच्छी तरह से सजाया जाता है। बड़े-बड़े शिक्षा अधिकारियों एवं आमंत्रित अतिथियों के बैठने के लिए मंच की व्यवस्था की जाती है। छात्रों एवं उनके परिजनों के बैठने के लिए भी अलग से मंच बनाये जाते हैं। इस दिन हमारे विद्यालय में 8 बजते ही अतिथियों एवं छात्रों के परिजनों का आगमन प्रारम्भ हो जाता है।


कुछ छात्रों का कार्य अतिथि को सम्मान सहित सीट पर बैठाने का होता है। जब मंच पर अभिभावक शिक्षक आदि इकट्ठा होते हैं तो एन०सी०सी० केडिटों द्वारा उन सभी को सलामी दी जाती है।


ठीक 9 बजे शिक्षा मंत्री द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है। इसके बाद वार्षिकोत्सव का शुभारम्भ किया जाता है। सर्वप्रथम प्रधानाचार्य जी द्वारा शिक्षा मन्त्री तथा अन्य अतिथियों को फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया जाता है।


जो छात्र कार्यक्रम की तैयारियों में जुटे होते हैं वो बारी-बारी से अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। हमारे विद्यालय में प्रत्येक वर्ष नाटक एवं नृत्य संगीत का कार्यक्रम होता है। इसमें कुछ ऐसे छोटे-छोटे बच्चे भी होते हैं जो कि सभी दर्शकों को दंग कर देते हैं।


कुछ बच्चे हास्य-व्यंग्य तथा जोक्स आदि सुना-सुना कर लोगों को खूब हँसाते हैं। इन सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों के समाप्त होने के बाद पीटी, मार्च, लम्बी कूद, ऊँची कूद, दौड़ एवं अन्य खेलों का प्रदर्शन किया जाता है।


सभी खेलों एवं कार्यक्रमों के अंत में शिक्षा मंत्री द्वारा उन सभी छात्रों को पुरस्कृत किया जाता है, जो सदैव परीक्षा में अव्वल रहते हैं।वार्षिकोत्सव समाप्त होने के पश्चात् बच्चों को प्रसाद के रूप में अन्य खाद्य सामग्री वितरण की जाती है और सभी अपने-अपने घरों को लौट जाते हैं।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।और आगे दिया हुआ दूसरा निबंध पढ़ना मत भूलियेगा धन्यवाद  ।


निबंध 2

 विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध | Hindi Essay on Anniversary of the school

प्रत्येक विद्यालय में प्रतिवर्ष स्वतन्त्रता-दिवस, गणतन्त्र-दिवस,खेल-दिवस, बाल-दिवस, नेहरू जयन्ती आदि अनेक उत्सव मनाए जाते हैं, परन्तु विद्यार्थियों की दृष्टि में जितना महत्त्व विद्यालय के वार्षिकोत्सव का होता है उतना अन्य किसी का नहीं, 


क्योंकि उस दिन उन्हें मिलता है-उनकी योग्यता, उनकी कार्यकुशलता, उनकी प्रतिभा और अनुशासन दिखाने का अवसर और उसके बदले में उन्हें यथोचित पुरस्कार प्राप्त होता है। उस दिन वे फूले नहीं समाते। इस उत्सव का उद्देश्य विद्यार्थियों में आत्म-संयम पैदा करना, विद्यालय की प्रगति में सहयोग देना तथा अभिभावकों से सम्पर्क स्थापित करना होता है।


उत्सव का समय-वार्षिकोत्सव के लिए समय अथवा दिन का निश्चय भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से किया जाता है। कुछ विद्यालय बच्चों की परीक्षाओं का ध्यान करते हुए फरवरी-मार्च में अपना वार्षिकोत्सव मनाते हैं, कुछ उस दिन मनाते हैं, जिस दिन उनकी दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए । और आगे दिया हुआ दूसरा निबंध पढ़ना मत भूलियेगा धन्यवाद  ।


निबंध 3
 विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध | Hindi Essay on Anniversary of the school


प्रस्तावना-प्रत्येक विद्यालय में प्रतिवर्ष स्वतन्त्रता-दिवस, गणतन्त्र-दिवस,खेल-दिवस, बाल-दिवस, नेहरू जयन्ती आदि अनेक उत्सव मनाए जाते हैं, परन्तु विद्यार्थियों की दृष्टि में जितना महत्त्व विद्यालय के वार्षिकोत्सव का होता है उतना अन्य किसी का नहीं, क्योंकि उस दिन उन्हें मिलता है-उनकी योग्यता, उनकी कार्यकुशलता, उनकी प्रतिभा और अनुशासन दिखाने का अवसर और उसके बदले में उन्हें यथोचित पुरस्कार प्राप्त होता है। 


हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव प्रतिवर्ष बसन्त-पंचमी के दिन मनाया जाता है। अत: इस वर्ष भी यह 17 फरवरी, 2002 को मनाया गया। यह दिन प्रत्येक दृष्टिकोण से उपयुक्त रहता है।


उत्सव का आयोजन एवं तैयारियाँ अगले दिन से ही वार्षिकोत्सव की तैयारियाँ की जाने लगीं। जगह-जगह विद्यालय की मरम्मत की जाने लगी, रंग-रोगन एवं सफेदी आदि के कार्य का कार्यक्रम आरम्भ किया जाने लगा। एक ओर हमारे व्यायाम शिक्षक के मार्ग-दर्शन में खेल-कूद प्रतियोगिताएँ प्रारम्भ हो गईं।


दूसरी ओर दिल्ली दूरदर्शन के नाटक विभाग के एक ख्याति प्राप्त कलाकार के निर्देशन में नाटक-एकांकी आदि का प्रशिक्षण प्रारम्भ हो गया। मैने भी एक नाटक में भाग लेने के लिए अपना नाम लिखा दिया था और मैं पूरे उत्साह के साथ उसकी तैयारी में जुट गया। 


वार्षिकोत्सव के लिए विभिन्न-विभिन्न कार्यक्रमों के लिए विभिन्न-विभिन्न समितियों का निर्माण कर दिया गया था। सजावट समिति, पुरस्कार वितरण समिति, खेलकूद समिति, सांस्कृतिक समिति आदि अपने-अपने कार्यक्रमों को पूर्ण करने में जुट गई थीं। 


सभी समितियाँ एक दूसरे से अच्छा काम करने तथा विद्यालय में यश प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील थीं। जैसे-जैसे वार्षिकोत्सव मनाने का दिन समीप आ रहा था, वैसे-वैसे तैयारियाँ और जोर-शोर से की जाने लगीं।


विद्यालय के वार्षिकोत्सव का दिन आखिर उत्सव मनाने का शुभ दिन आ पहँचा। उत्सव अपराह्न तीन बजे आरम्भ होना था। विद्यालय के प्रांगण में आरम्भ से ही चहल-पहल थी। प्रांगण में बड़ा पंडाल लगा था जिसमें एक मंच बनाया गया था। पंडाल की सजावट देखने में बहुत आकर्षक थी। 


पंडाल के मुख्य द्वार पर बडे-बडे अक्षरों में विद्यालय के नाम के साथ विद्यालय का वार्षिकोत्सव लिखा था। विद्यार्थियों को अपने अभिभावकों छोटे भाई-बहनों के साथ समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। समारोह के अध्यक्ष के रूप में दिल्ली के महामहिम उपराज्यपाल को आमंत्रित किया गया था। अध्यक्ष महोदय ठीक तीन बजे आ गए थे। 


उनके आने से पूर्व ही निमन्त्रित व्यक्तियों का आना प्रारम्भ हो गया था। प्रत्येक अतिथि निश्चित स्थान पर बैठ रहा था। पंडाल में अध्यक्ष महोदय की कुर्सी पर जाने के लिए बीचों-बीच रास्ता छोड़ा हुआ था। जिसके एक ओर अतिथिगण बैठे थे और दूसरी ओर कार्यक्रम में भाग लेने वाले छात्र। मार्ग रंग-बिरंगे फूलों के गमलों से सजाया गया था तथा उसे चूने और बजरी के सहयोग से सुन्दर बना दिया गया था।


मुख्य अतिथि का स्वागत-अध्यक्ष महोदय के विद्यालय में पहुँचने पर एन.सी. सी. बैंड की टीम ने उनका स्वागत किया। विद्यालय के प्रधानाचार्य तथा उपप्रधानाचार्य महोदय ने अध्यक्ष की अगवानी की। मंच पर पहुँचने के पश्चात् प्रधानाचार्य ने अध्यक्ष महोदय का परिचय कराते हुए विद्यालय के विद्यार्थियों और अध्यापकों की ओर से पुष्पमाला से उनका स्वागत किया।


इसके उपरान्त सबने अपना-अपना स्थान ग्रहण कर लिया। इसके पश्चात् 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों ने राष्ट्र गान के साथ वार्षिकोत्सव का आरम्भ किया। कार्यक्रम का आरम्भ-सर्वप्रथम विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक ने विद्यालय की रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमे बोर्ड की परीक्षाओं में प्रथम आने वाले छात्रों के नाम पढ़कर सुनाए गए।


पूरे वर्ष की प्रगति का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया। खल-कूद प्रतियोगिता में पुरस्कार प्राप्त करने वालों तथा विद्यालय की अन्य उपलब्धियों की चर्चा की गई।


सांस्कृतिक कार्यक्रम कार्यक्रम आरम्भ होने के पश्चात् सर्वप्रथम सरस्वती की वन्दना की गई। यह वन्दना गीत छात्राओं द्वारा गाया गया। इसके पश्चात् एक गीति-नाटक प्रस्तुत किया गया, जिसे छात्र तथा छात्राओं ने मिलकर तैयार किया था।


कुछ विद्यार्थियों ने शारीरिक व्यायाम व योग का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। स्काऊट तथा एन.सी.सी. के छात्रों ने अनेक मनमोहक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। छात्राओं ने एक लोक नृत्य भी प्रस्तुत किया जो सभी को बहुत अच्छा लगा।


कार्यक्रम के अन्त में छात्र-छात्राओं ने मिलकर एक संक्षिप्त-सा कवि सम्मेलन किया जिसमें विद्यार्थियों ने अनेक कवियों के भेष धारण करके उनकी रचित कविताओं का गायन किया। इनके अतिरिक्त और भी कई मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।


पारितोषिक वितरण-इसके पश्चात् पारितोषिक-वितरण का कार्यक्रम आरम्भ हुआ। खेलों में विजेताओं तथा कक्षाओं में प्रथम आने वाले विद्यार्थियों को पारितोषिक दिए गए। प्रधानाचार्य ने एक-एक विजेता छात्र व छात्रा का नाम लिया और साथ में यह बताया कि विजेता विद्यार्थी को कौन-सा पुरस्कार और क्यों दिया जा रहा है? 


जैसे ही कोई पुरस्कार लेता था, हॉल तालियों की ध्वनि से गूंज उठता था। जिन विद्यार्थियों को पुरस्कार मिला था, उनकी प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं था।


अध्यक्ष का भाषण एवं उत्सव समाप्ति-पुरस्कार वितरण के उपरान्त अध्यक्ष महोदय का भाषण हुआ। उन्होंने अपने भाषण में शिक्षा का महत्त्व दर्शाते हुए विद्यालय और उसके अध्यापकों की उपलब्धियों की प्रशंसा की। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और विद्यालय की उन्नति की कामना की। 


अध्यक्षीय भाषण के उपरान्त प्रधानाचार्य महोदय ने उत्सव समाप्ति की घोषण की और उपस्थित सभी सज्जनों को धन्यवाद दिया। इसके पश्चात् एक पृथक् कमरे में प्रीतिभोज की व्यवस्था की और फिर आनन्द विभोर हुए सब अपने घर लौट गए। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।


शब्दार्थ-यथोचित = जैसा उचित हो; दृष्टिकोण = नज़रिया; अपराह्न = दोपहर बाद; उपलब्धियाँ = प्राप्तियाँ; दर्शाना = दिखाना; व्यवस्था = इन्तजाम।