प्रातःकाल का दृश्य हिंदी निबंध | Hindi Essay on Pratahkal ka Drishya
नमस्कार दोस्तों आज हम प्रातःकाल का दृश्य इस विषय पर निबंध जानेंगे। प्रातः काल का दृश्य अत्यन्त मनोरम होता है। इस समय पूर्व दिशा में सूर्य देवता की लाली का सुनहरा रंग फैला होता है। इस समय सूर्य देवता पूर्व दिशा से उदित होकर धरती पर पदार्पण करते हैं।
सभी ओर अनेक जन सूर्य देवता को नमन करते हुए दिखाई देते हैं। चारों ओर शीतल, सुगन्धित तथा मन्द-मन्द समीर बहती रहती है जो सभी को शीतलता प्रदान करती है। इस समय का वातावरण बहुत शुद्ध, मनोहारी, शान्त एवं स्फूर्तिदायक होता है।
इस समय की वायु में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत अधिक होती है तथा यह वायु प्रदूषण रहित होती है जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभदायक है। इस समय पक्षीगण अपने-अपने घोसलों से निकल कर अपने तथा अपने बच्चों के लिए भोजन प्राप्त करने के लिए आकाश में उड़ते हुए दिखाई देते हैं।
चारों ओर उड़ती हुई चिड़ियों की चहचहाहट तथा अन्य पक्षियों का कलरव बहुत मनोहारी लगता है। वह ऐसा लगता है मानों कहीं कर्णप्रिय संगीत बज रहा है।
बाग-बगीचों में खिले फल अपनी प्यारी-प्यारी मुस्कराहट और सुगन्ध से सभी को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं तथा लोग बरबस ही उन सुन्दर फूलों की ओर खिंचे चले जाते हैं। उस समय घास पर पड़ी ओस की बूंदें मोतियों के समान सुन्दर व लुभावनी दिखती हैं।
प्रात: काल का समय भ्रमण के लिए बहुत उचित समय होता है। इस समय भ्रमण करने से शरीर स्वस्थ तथा हृष्ट-पुष्ट रहता है। शरीर में सारा दिन चुस्ती एवं फुर्ती बनी रहती
हम सब को चाहिए कि इस समय के सहावने व मनोहारी दश्यों का भरपर आनन्द उठावें। यह समय ब्रह्मकाल कहलाता है। अर्थात् इस समय देवी-देवता विचरण करते हैं।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।