कबड्डी पर हिंदी निबंध | Kabaddi par Hindi Nibandh

 

 कबड्डी पर हिंदी निबंध | Kabaddi par Hindi Nibandh

नमस्कार  दोस्तों आज हम  कबड्डी इस विषय पर निबंध जानेंगे। इस लेख मे कुल २ निबंध दिये गये हे जिन्‍हे आप एक -एक करके पढ सकते हे । खेलों का मानव जीवन में विशिष्ट स्थान है। हमारे देश में खेलों के अन्तर्गत फुटबॉल, हॉकी, वॉलीबाल, क्रिकेट, कबड्डी, खो-खो, पोलो आदि आते हैं। इनके द्वारा हमारा मनोरंजन होता है तथा ये हमारी शक्ति के स्रोत हैं। इन खेलों में अधिकतर विदेशी हैं। 


भारतवर्ष का अपना देशी खेल कबड्डी है जो सबसे सस्ता तथा सरल खेल है। इस खेल को खेलने के लिए न तो लम्बे-चौड़े मैदान की आवश्यकता होती है और न ही किसी विशेष साज-सामान की। यह खेल मैदान के बीचों-बीच एक विभाजक-रेखा खींच कर तथा दो बराबर की टीमें बनाकर खेला जाता है।


एक ओर की टीम का एक खिलाड़ी दूसरी ओर के खिलाड़ियों के बीच सांस रोक कर 'कबड्डी-कबड्डी' कहता हुआ जाता है। तथा उन खिलाड़ियों को छूकर तथा बिना सांस तोड़े विभाजक रेखा को छूकर आउट करने का प्रयत्न करता है। 


परन्तु यदि दूसरी पारी के खिलाड़ी उसे पकड़ कर सांस तोड़ने पर बाध्य कर देते हैं तो वह आउट हो जाता है। इस प्रकार से सभी खिलाड़ी अपने अंक बनाते हैं। जिस टीम के अंक अधिक बन जाते हैं वह टीम विजयी घोषित कर दी जाती है। यह खेल अत्यन्त मनोरंजक तथा स्वास्थ्य वर्धक है। 


इसमें खिलाड़ियों को चुस्त, दुरुस्त तथा सावधान रहना पड़ता है। भारत जैसे निर्धन देश के लिए कबड्डी का खेल अत्यन्त उपयुक्त है। कबड्डी के खेल से पारस्परिक सहयोग तथा भाई-चारा बढ़ता है। 


जब ऐशियाई खेलों में पहली बार कबड्डी के खेल को सम्मिलित किया गया तो भारत ने एक मात्र स्वर्ण पदक इसी खेल में जीता था। इस खेल के खेलने से सम्पूर्ण शरीर सुडौल, सुगठित और सुदृढ़ हो जाता है। अत: हमारा कर्तव्य है कि हम इस खेल को अपनाएँ तथा हमारी सरकार को चाहिए कि इस खेल को अधिक-से-अधिक बढ़ावा दे।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।और आगे दिया हुआ दूसरा निबंध पढ़ना मत भूलियेगा धन्यवाद  ।


 निबंध 2

कबड्डी पर हिंदी निबंध | Kabaddi par Hindi Nibandh

एक भारतीय खेल प्रस्तावना-क्रिकेट तथा फुटबॉल विदेशों से भारतवर्ष में लाए गए है परन्तु कबड्डी विशुद्ध भारतीय खेल है। यह खेल भारत देश की परिस्थितिर के अनुकूल है क्योंकि कबड्डी खेलने में आसान तथा सस्ता खेल है। इस खेलने में न बॉल की आवश्यकता है और न ही नैट की तथा न ही लम्बे-चौंडे मैदान की। 


अत: इसे निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी खेल सकते हैं। खेल खेलने का तरीका-कबड्डी खेलने का तरीका बहुत आसान है। कुछ खिलाड़ी मिलकर दो भागों में बँट जाते हैं। घास वाली या नरम मिट्टी वाली जगह चुनकर कबड्डी का मैदान बना लिया जाता है। इसमें बहुत बड़े मैदान की आवश्यकता नहीं होती है। 


मैदान के बीच में एक लम्बी रेखा खींचकर इसे दो बराबर भागों में बाँट दिया जाता है। इसके पश्चात् खेल आरम्भ होता है। एक दल का एक खिलाड़ी रेखा के दूसरी ओर ‘कबड्डी-कबड्डी' कहता हुआ जाता है। ध्यान रहे कि 'कबड्डी-कबड्डी' कहते हुए खिलाड़ी की सांस नहीं टूटनी चाहिए। 


यदि वह खिलाड़ी बिना सांस टूटे दूसरे दल के किसी खिलाड़ी को छूकर अपने पाले में वापस आ जाता है तो छुआ हुआ खलाड़ी आउट मान लिया जाता है और यदि 'कबड्डी-कबड्डी' कहने वाले खलाड़ी को कोई पकड़ ले और उसको सांस वहीं टूट जाए तो वह आउट माना जाता है। आउट (मरा हुआ) खिलाड़ी मैदान के बाहर बैठ जाता है। जिस ल के सभी खिलाड़ी पहले आउट हो जाते हैं तो वह दल हार जाता है।


खेल का महत्त्व-यह खेल शरीर में चुस्ती तथा जीवन में उमंग भर देता । कबड्डी का खेल अन्य खेलों की तरह खिलाड़ियों के स्वास्थ्य को बढ़ाता । इस खेल को खेलने से खिलाड़ियों में टीम की अर्थात् सहयोग की भावना त्पन्न होती है। यह मनोरंजन का भी एक उत्तम तथा सस्ता साधन है। 


सावधानियाँ-इस खेल को खेलते समय कुछ विशेष सावधानियों का मान रखना चाहिए। वह मैदान जहाँ कबड्डी खेली जाए, पथरीला नहीं होना "हिए। इसके अतिरिक्त खिलाड़ियों को पकड़ते समय भी सावधानी बरतनी हिए। असावधानी से किसी भी खिलाड़ी की टॉग या बाजू टूट सकती है। सा होने पर खेल का आनन्द समाप्त हो जाता है।


उपसंहार-आजकल नए-नए विदेशी खेलों के भारत में आने से इस ल के प्रति नवयुवकों की रुचि कम होती जा रही है। इस खेल को जीवित ने तथा लोकप्रिय बनाने के लिए सरकारी तय गैर-सरकारी स्तर पर -बड़े आयोजन करने चाहिएँ। खिलाड़ियों को इस खेल में रुचि उत्पन्न करने. लिए समय-समय पर पुरस्कार की व्यवस्था करते रहना चाहिए। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।


शब्दार्थ-अनुकूल = अनुसार। निर्धन = गरीब। उमंग = जोश। :( नवयुवकों = नौजवानों। व्यवस्था = इंतजाम।