कलम तलवार से ताकतवर होता है पर हिंदी निबंध | KALAM TALVAR SE TAKATVAR HOTA HAI ESSAY IN HINDI

 

 कलम तलवार से ताकतवर होता है पर हिंदी निबंध | KALAM TALVAR SE TAKATVAR HOTA HAI ESSAY IN HINDI

नमस्कार  दोस्तों आज हम कलम तलवार से ताकतवर होता है इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। बिस्मार्क ने अपने शिक्षक फादर रोडार्ड से कहा “यदि मुझे एक तलवार मिले, तो मैं उन्हें मार दूंगा। ओ मेरे शक्तिशाली मालिक! किन्तु यदि आप मुझे एलेक्जेण्डर की तलवार से बलवान कलम देंगे तो मैं उसका नाम अनश्वर तथा तरोताजा रसूंगा।"


तलवार कमल से बलवान है या यह कलम है जो तलवार को पराजित कर सकती है, इस विवाद का निर्णय सीधे होगा। अब यह सर्वव्यापक स्थापित सत्य है कि कलम की शक्ति और महत्त्व तलवार की तुलना में ज्यादा है। 


कुछ बुद्धिहीन लोगों को छोड़कर इस आधुनिक विश्व में कोई नहीं है जो कलम पर तलवार के आधिपत्य की वकालत करे। हाँ, यह सच है कि सभ्यता विकसित होने से पहले जब शक्ति द्वारा हक का निर्णय होता था तो लोग कलम की तुलना में तलवार को ज्यादा महत्त्व देते थे।


सभ्यता के प्रारम्भ से ही मानव जाति तलवार की उपासना की सच्चाई की प्रत्यक्षदर्शी रही है। हालाँकि आगे चलकर यह पूर्णरूप से तुच्छता में लुप्त हो गयी। एलेक्जेण्डर, सीजर, नीरो, तैमूर, बाबर और अन्य कई महान और शक्तिशाली विजेताओं ने, जो तलवार की सहायता से आगे बढ़े, अपनी विजय से प्राप्त अल्पकालीन गौरव को बनाए नहीं रख सके। 


निःसन्देह जब तक वे जीवित रहे, उनकी ख्याति बनी रही। हालाँकि यह भय अनुप्राणित ख्याति थी। किन्तु उनकी मृत्यु के बाद उन्हें अपराधियों और खून बहाने वालों के रूप में देखा गया। आज भी उन्हें शांति का दुश्मन कहा जाता है। चगेज खाँ, हलाकू और चार्लमैन को आज युद्ध की दुष्टात्मा के रूप में निन्दित किया जाता है।


दूसरी तरफ होमर, कालीदास, तुलसीदास, शेक्सपियर, फिरदौसी, मिल्टन और टैगोर जिन्होंने अपनी कलम से नया ज्ञान और नवचेतना दी, उन्हें श्रद्धापूर्वक पूज्य समझकर याद किया जाता है। आज ऐसा कौन है जो इन कलम चलाने वालों की निन्दा कर सके ? 


इन कलम के बलवान नायकों द्वारा प्राप्त महान बुद्धिजीवी विजय कभी तुच्छता में क्षीण नहीं होगी। सर्वनाश की कगार पर भी, विचारों और धारणाओं के इन अधिपतियों के नाम ताजे रहेंगे। उनके नाम विश्व तिलास में स्वर्ण अक्षरों में सदैव लिखे रहेंगे।


इसके अतिरिक्त आधुनिक युग में हम युद्ध और हिंसा को पुरानी और निन्दनीय बात घोषित करने के लिए कृतसंकल्प हैं; वर्तमान समय में हम एक ऐसे युग की तरफ देख रहे गाँव और शहर बह जाते हैं और इस विनाश से जान-माल की भारी क्षति होती है। मनुष्यों का सारा प्रयास गंगा के प्रकोप को रोकने में बेकार हो जाता है।


भारत के सभी प्रसिद्ध शहर- हरिद्वार, इलाहाबाद, कानपुर, वाराणसी, पटना आदि गंगा के किनारे बसे होने के कारण धार्मिक स्थल हो गए हैं। काशी भी एक ऐसा ही दूसरा धार्मिक शहर है। यह हमेशा से अध्ययन का स्थान रहा है। प्रयाग में भारत का प्रसिद्ध मेला, गंगा मेला और कुम्भ का मेला लगता है।


गंगा नदी बहुत ही उपयोगी है, यह अपनी कछारी मिट्टी मैदानी क्षेत्रों में देकर उसे अधिक उपजाऊ और समृद्ध बनाती है। सिंचाई में भी गंगा नदी का इस्तेमाल होता है। गंगा का उपयोग परिवहन में भी होता है।


जहाँ इसका पाट चौड़ा होता है, वहाँ नाव और जहाज चलते हैं। इसके अतिरिक्त विद्युत उत्पादन के लिए कुछ जल-परियोजनाएँ भी शुरू की गई हैं। इस प्रकार इससे भिन्न-भिन्न लाभ हैं। सिर्फ पौराणिक कथाओं के कारण ही नहीं बल्कि अपनी विभिन्न उपयोगिताओं के कारण हमारे राष्ट्रीय जीवन में गंगा का महत्त्वपूर्ण स्थान है।


हैं जो शांति और शांतिमय सहअस्तित्व से परिपूर्ण हो। ऐसे युग में तलवार की शक्ति का कोई महत्त्व नहीं रहेगा। ऐसे दिनों में तलवार की बात करना एकदम मूर्खता होगी। हम सचमुच इस निर्णय पर पहुँच गये हैं कि कलम तलवार से ज्यादा बलवान है और इसका मानव सभ्यता पर हमेशा रचनात्मक और चिरस्थायी प्रभाव होता है।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।