कुत्ते की आत्मकथा निबंध हिंदी में | Kutte Ki Atmakatha Essay in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम कुत्ते की आत्मकथा इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। मैं कुत्तों की जाति में जरूर पैदा हुआ हूँ, फिर भी मैं बड़ा खुशनसीब हूँ।
मेरा जन्म एक धनी आदमी के घर में हुआ था। मेरे माथे पर अर्धचंद्र का निशान था। इस चिह्नवाले कुत्ते, बैल, घोड़े बहुत शुभ माने जाते हैं। इसलिए उस परिवार के लोगों का मुझपर विशेष स्नेह था। वे मुझे टॉमी कहकर बुलाते थे।
मेरी परवरिश पर पूरा ध्यान दिया जाता था। हर महीने एक डाक्टर मेरे स्वास्थ्य की जाँच करता था। सचमुच मेरा बचपन किसी राजकुमार के बचपन की तरह ही बीता।
मैं बड़ा हुआ तो उस परिवार के बच्चों के साथ खेलने लगा। मैं उनके साथ मैदान में जाता। वे रबर की गेंद फेंकते। मैं दौड़कर उसे मुँह में दबाकर ले आता । वे क्रिकेट खेलते तो फील्डिंग करने में मुझे बड़ा मजा आता। मैं भी उनके साथ कार में बैठा करता था।
मैंने उस परिवार की बड़ी सेवा की। वफादारी मेरे नस-नस में थी। कई बार मैंने खतरा मोल लेकर भी अपना कर्तव्य निभाया। एक बार रात में कुछ चोरों ने घर में घुसने की कोशिश की। मैंने जोर से भौक-भौककर घरवालों को जगा दिया। एक चोर पकड़ा गया।
बाकी अँधेरे का लाभ उठाकर भाग गए। एक बार दो बदमाशों ने मालिक के छोटे बेटे का अपहरण करने की कोशिश की। मैं जोर से भौकता हुआ उनके पास पहुँचा और उनके पैर में काट लिया। उन्होंने मुझपर चाकू से हमला किया। मैं घायल हो गया, पर मैंने उनकी योजना सफल नहीं होने दी।
अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ। मेरे मालिक ने अल्सेशियन जाति का एक कुत्ता पाल लिया है। वह देखने में बड़ा विचित्र लगता है। मुझे नहीं लगता कि वह खतरे से खेलकर मेरी तरह इस परिवार की सेवा कर पाएगा।
मेरे जीवन का अंत अब ज्यादा दूर नहीं लगता। मेरी यही इच्छा है कि फिर से मेरा जन्म इसी परिवार के लिए हो और मुझे फिर इन सबकी सेवा करने का अवसर मिले। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।