महंगाई की समस्या हिंदी निबंध | Mehangai Ki Samasya Essay In Hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम महंगाई की समस्या इस विषय पर निबंध जानेंगे। आज का जीवन अर्थ-प्रधान है। सभी सुख-सुविधाओं का मूलाधार पैसा है। भोजन, कपडा तथा मकान जैसी मूल आवश्यकताएँ बिना पैसे के पूरी नहीं हो सकती। आज कल इन जरूरतों की पूर्ति आसानी से नहीं हो पा रही है।
दिनोंदिन बढ रही महँगाई के कारण आम आदमी परेशान हो गया है। बाजार में वस्तुओं के दाम इतने बढ़ते जा रहें कि आम आदमी अपनी मूल जरूरतों की भी पूर्ति नहीं कर सकता। जीवनावश्यक चीजों के दाम आसमान को छू रहे हैं। इस महँगाई के कारण आम आदमी का जीना ही दूभर हो गया है।
महँगाई अनेक कारणों से बढती है। बाढ, अकाल, सूखा आदि प्राकृतिक कारणों का भी मूल्य-वृद्धि में समावेश हैं। इन प्राकृतिक कारणों से कृषि-उत्पादन में कमी आती है। उत्पादन की कमी मूल्य वृद्धि को जन्म देती है। क्योंकि उत्पादन कम हो जाने से माँग बढती है। माँग बढने से मूल्यवृद्धि हो जाती है।
युद्ध की स्थिति में भी वस्तुओं के दाम बढते हैं। भारत-पाक युद्ध के कारण दोनों देशों की अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई है। सरकार की गलत आर्थिक नीतियों ने भी मूल्यवृद्धि में पूरा सहयोग दिया है। प्रजातंत्र में वोट का महत्त्व है। वोट पाने के लिए रुपए बहाने की आवश्यकता रहती है।
चुनावों में यह रूपया पूँजीपतियों से आता है, इसलिए चुनाव जीतने के बाद सरकार उनके व्यापारिक हितों को पूरा ध्यान रखकर योजनाएँ बनाती है। पूँजीपति राजनीतिक दलों को दिया गया रुपया अपनी वस्तुओं के दाम बढाकर वसूल कर लेता है। इसीलिए हर चुनाव के बाद महँगाई बढती है।
काला धन, हमारे अर्थतंत्र को बुरी तरह से जकडे हुए है। काला बाजारी, तस्करी भी जोरों पर हैं। जनजीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं का खुले बाजार में अभाव है और काले बाजार में वे बेभाव मिलती है। महँगाई बढाने में प्राकृतिक आपदाओं का इतना हाथ नहीं है, जितना मानव निर्मित आपदाओं का हैं।
महँगाई बढाने में सबसे बड़ा योगदान बढती जनसंख्या का है। बढती जनसंख्या के लिए जरूरी वस्तुओं का उत्पादन पूरा नहीं पड़ता। फलस्वरूप, महँगाई में वृद्धि अनिवार्य होती है। बढती महँगाई अनेक दुष्परिणामों को जन्म दे रही है।
आकर्षक वेतन के बावजूद नौकरी पेशा लोगों को नितांत अनाकर्षक ढंग का जीवन-यापन करना पड रहा है। मजदूर वर्ग की तो और भी बुरी हालत है। दिनभर पसीना बहाने के बावजूद उसे पेटभर खाना नहीं मिलता। उनके बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। पेट की चिंता करने में ही उनका सारा जीवन समाप्त होता है।
आम आदमी कर्ज की बोझ से दब जाता है। इस हालत में राष्ट्र का विकास कैसे हो पायेगा?मूल्यवृद्धि पर नियंत्रण पाने के लिए अनेक उपाय किए जा सकते हैं। चुनाव-प्रणाली को बदलना आवश्यक है। चुनाव के खर्च पर नियंत्रण की आवश्यकता है, जिससे सरकार पर से पूँजीपतियों का प्रभाव बटेगा।
ईमानदार सरकार ही प्रशासन को ईमानदार बना सकती है। उत्पादन और वितरण के सभी साधनों पर सरकार नजर रख, काला बाजारी का उच्चाटन हो जाएँ और सामान्य जनता सादगी से जीवन-यापन करना शुरू कर दें तो कुछ हदतक महँगाई की समस्या हल हो सकती है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।