मेरा बचपन पर निबंध Mera Bachpan Essay in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम मेरा बचपन इस विषय पर निबंध जानेंगे। मानव का जीवन काल प्रायः सभी जीवों से अधिक लम्बा होता है। शैशव काल इसके जीवन काल का छोटा-सा भाग होता है।
यह काल मानव के जीवन का सबसे अच्छा समय अर्थात् स्वर्णिम काल माना जाता है। यह उसके जीवन काल में प्यार-दुलार, सहानुभूति व देख-रेख का समय होता है।
यह समय सभी प्रकार की चिन्ताओं से मुक्त तथा हर्ष-उल्लास से परिपूर्ण होता है। बचपन की ये खुशियाँ मनुष्यकी आयु के बढ़ने के साथ-साथ कम होती चली जाती हैं। धीरे-धीरे मनुष्य का जीवन चिन्ताओं में घिरने लगता है।
शैशव काल प्रायः जन्म से लेकर दस-बारह वर्ष पर्यन्त। रहता है। इस काल में शिशु अनेक सांसारिक समस्याओं से अनजान रहता है। उसका जीवन इस काल में निर्बाध चलता रहता है। परिवार में छोटा सदस्य होने के कारण उसे प्रायः अपने से सभी बड़ों का लाड-प्यार तथा दुलार मिलता रहता है।
उसे प्रसन्न रखने के लिए उसके स्वजन उसे अनेक प्रकार के उपहार व खिलौने देते रहते हैं। जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है उसके परिचय का क्षेत्र भी बड़ा हो जाता है। जब वह विद्यालय में जाने लगता है तो उसकी चिन्ताएँ बढ़ने लगती हैं।
सर्वप्रथम उसे गृहकार्य करने व परीक्षा देने की चिंता सताने लगती है। उसके मित्रों की संख्या भी बढ़ जाती है। शैशव काल में मानव की प्राय: सभी आवश्यकताएँ नि:संकोच पूरी कर दी जाती हैं। बचपन के दिन मानव जीवन के वे स्वर्णिम पल होते हैं जो जीवन-पर्यन्त बार-बार याद आते रहते हैं। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।