मेरा देखा हुआ कवि-सम्मेलन हिंदी निबंध | MERA DEKHA HUAA KAVI SAMMELAN ESSAY IN HINDI

 

मेरा देखा हुआ कवि-सम्मेलन हिंदी निबंध | MERA DEKHA HUAA KAVI SAMMELAN ESSAY IN HINDI 

नमस्कार  दोस्तों आज हम   मेरा देखा हुआ कवि-सम्मेलन इस विषय पर निबंध जानेंगे। वसंत को ऋतुराज कहते हैं। सचमुच, वसंत अत्यंत मनभावन ऋतु है। इस ऋतु में मनुष्य का मन आनंदित रहना चाहता है। आनंद देनेवाले साधनों में कवि-सम्मेलन भी एक है। 


हर साल फागुन की वसंतपंचमी को हमारे शहर में कवि-सम्मेलन का आयोजन होता है। पिछली वसंतपंचमी को मैंने भी इसका आनंद लिया। सभागार श्रोताओं से खचाखच भरा था। मंच पर अनेक कवि विराजमान थे।कवि-सम्मेलन का संचालन श्रीविजय सारथी को सौंप दिया। 


सारथी जी की बुलंद आवाज और मीठी चुटकियों ने इस आयोजन में चार चाँद लगा दिए। __माइक पर सबसे पहले कवि 'सुमन' आए। उनकी कविता में फूल की सुंदरता थी और खुशबू भी। श्रोताओं ने उन्हें बहुत पसंद किया। सुमनजी के बाद वीररस के कवि श्रीखड्गनंदन आए। 


उन्होंने कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उनकी "माँ के लिए मौत से भेंटे, वे थे माँ के सच्चे बेटे।" पंक्तियों ने श्रोताओं में देशभक्ति की ज्योति जला दी। हास्यरस के कवि 'ठूठ' खूब जमे। उनकी कविताओं ने श्रोताओं को खूब हँसाया। उनकी कविता 'हारे हुए नेता की जीत' को श्रोताओं ने दुबारा सुना। 


कवयित्री चारुशीला की कविता 'रोशनी' उनका नाम रोशन न कर सकी। हाँ, कवि बादल खूब बरसे। उनकी कविता 'हर दिल प्यासा प्यार का' बहुत अच्छी थी। बादलजी ने बहुत सुरीला गला भी पाया है। कई बार सुन लेने पर भी उनकी कविताओं को सुनने की प्यास बुझने का नाम नहीं लेती।


श्रोताओं के आग्रह पर कवि 'ठूठ' को फिर से आना पड़ा। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना 'दलबदलू चालीसा' सुनाई। उसे सुनते-सुनते श्रोता लोट-पोट हो गए। सबने तालियाँ बजाकर उन्हें हार्दिक बधाई दी।


अंत में संचालक श्री सारथीजी ने अपनी कविता सुनाई। उन्होंने अपनी कविता में आतंकवाद के राक्षस से इंसानियत को बचाने का आग्रह किया था। श्रोताओं ने उनकी कविता को बहुत सराहा। कवि-सम्मेलन रात को दस बजे तक चलनेवाला था, पर वह बारह बजे समाप्त हुआ। उस समय भी सबमें कविता सुनने की चाहत थी। 


यह कवि-सम्मेलन बहुत सफल रहा। कवियों ने अपनी रसभरी कविताओं से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। मैंने जीवन में पहली बार कवि-सम्मेलन का आनंद लिया। उसकी मीठी याद आज भी मन को पुलकित कर देती है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।