मेरा प्रिय नेता हिंदी निबंध | MERA PRIYA NETA Nibandh in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम मेरा प्रिय नेता इस विषय पर निबंध जानेंगे। हमारा भारत देश एक से बढ़कर एक श्रेष्ठ नेताओं की भूमि है। महात्मा गांधी, पं. नेहरू, गोखले, तिलक, आगरकर, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी आदि अनेक नेताओं के नाम देश के इतिहास में अमर हैं।
सभी नेताओं के प्रति मेरे मन में आदर है। परंतु श्रीमती इंदिरा गांधी ही मेरी सबसे प्रिय नेता हैं। इंदिराजी ने भारत की प्रधानमंत्री के रूप में अपने देश का मस्तक ऊँचा किया था। उनका व्यक्तित्व आज भी अनेक लोगों के दिलो-दिमाग पर छाया हुआ है।
माताश्री श्रीमती कमला नेहरू तथा पिताश्री पं. जवाहरलाल नेहरू की इकलौती संतान होने के कारण आपका लालन-पालन बहुत ही लाड-प्यार में हुआ था। सन 1935-1936 में आपने स्विट्जरलैंड में शिक्षा प्राप्त की। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी उन्होंने उच्च शिक्षा पाई।
इंग्लंड से वापस आने के बाद आपका विवाह फिरोज गांधी के साथ हो गया। आपके राजीव गांधी व संजय गांधी दो पुत्र हुए। अपने जीवन में आपको पिता, पती, तथा छोटे पुत्र का वियोग सहन करना पड़ा।
बचपन में ही इंदिराजी देश-प्रेम तथा राजनीति के रंग में रंग गई थी। नेहरूजी ने ही इंदिराजी को काँग्रेस का अध्यक्ष बनाकर सक्रिय राजनीति में प्रवेश करा दिया था। पं. नेहरू के निधन के बाद श्री. लालबहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में इंदिराजी को सूचना एवं प्रसारणमंत्री का पद सौंप दिया।
शास्त्रीजी के निधन के बाद 24 जनवरी, 1966 को वह भारत की प्रधानमंत्री बनी। आपका प्रधानमंत्रित्व काल बहुत ही चुनौतियों से भरा हुआ रहा। 9 अगस्त, 1971 को आपने रूस के साथ एक महत्त्वपूर्ण इंडो-सोवियत संधि की थी। 1971 में ही पाकिस्तान को करारी पराजय दी तथा बंगला देश का निर्माण करके शरणार्थियों की समस्या सुलझाई।
इंदिराजी ने विश्वमंच पर भारत का नाम ऊँचा किया। सन 1982 में उन्होंने एशियाई खेल (एशियाड) का आयोजन किया तथा सन् 1983 में दिल्ली में निर्गुट सम्मेलन आयोजित किया और उसकी अध्यक्ष बनी। उनकी श्रेष्ठ देश सेवाओं के उपलक्ष में राष्ट्रपति श्री. वी. वी. गिरी ने उन्हें भारतरत्न अलंकार द्वारा अलंकृत किया।
31 अक्तूबर,1984 को उनके ही दो अंगरक्षकों ने उन्हें अपनी गोलियों का निशाना बनाया। इंदिराजी ने अपने अंतिम भाषण में कहा था, " मेरे खून का अंतिम कतरा देश के काम आएगा।" उनका यह कथन सत्य सिद्ध हुआ। ऐसी लौह महिला इंदिरा गांधीजी का व्यक्तित्व आज भी भारतवासियों के दिलो-दिमाग पर छाया हुआ है। उनकी पवित्र स्मृति को मेरे शतश: प्रणाम! दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।