मेरे दादाजी पर निबंध | Mere dadaji essay in hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम मेरे दादाजी इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। मेरे दादाजी का नाम मणिलाल चुन्नीलाल देसाई है। वे पैंसठ वर्ष के हैं। हर साल रामनवमी को उनकी सालगिरह आती है।
दादाजी एक सहकारी बैंक में मैनेजर थे। उनकी कार्यकुशलता की बड़ी धाक थी। उन्होंने अपनी सूझ और लगन से एक मामूली बैंक का बहुत विकास किया था। धीरे-धीरे उस बैंक की कई शाखाएँ खुल गई थीं।
आज भी वह हमारे शहर का एक बड़ा और लोकप्रिय बैंक है। मेरे दादाजी सुबह पाँच बजे उठ जाते हैं । वे रोज सुबह सैर करने जाते हैं। इसीलिए इस उम्र में भी वे काफी स्वस्थ हैं। उन्हें कभी दवा लेने की जरूरत नहीं पड़ती। वे हररोज मंदिर भी जाते हैं।
दोपहर को वे अखबार पढ़ते हैं। वे सादा भोजन करते हैं। भोजन में वे सलाद और हरी सब्जी बहुत पसंद करते हैं । जलेबी उन्हें बहुत प्रिय है। मेरे दादाजी मुहल्ले के आदरणीय व्यक्ति हैं। वे रिटायर्ड (अवकाश-प्राप्त) व्यक्ति हैं, पर हमेशा किसी-न-किसी प्रवृत्ति में लगे रहते हैं। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए।