मेरी बस की यात्रा पर हिंदी निबंध Meri bus ki yatra essay in hindi

 

मेरी बस की यात्रा पर हिंदी निबंध Meri bus ki yatra essay in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम  मेरी बस की यात्रा इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। बस द्वारा यात्रा नीरस और उबाऊ होती है। हम जैसे ही एक स्थान ग्रहण करते हैं, तब से अपनी मंजिल तक हमें एक ही स्थान पर बैठे रहना पड़ता है। हम बस में स्वतन्त्रतापूर्वक घूम नहीं सकते हैं। 


अपने सहयात्रियों के साथ हम अपने विचारों का आदान-प्रदान नहीं कर सकते हैं। इसके बदले हम अपनी आँख बन्द ही रखना पसन्द करते हैं। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी और शरद ऋतु में ठण्ड यात्रा को कष्टदायक और असह्य बना देती है।


मैं यदा-कदा ही बस की यात्रा करता हूँ। किन्तु इस गर्मी के मौसम में रेलगाड़ी छूट जाने के कारण मुझे बस से दिल्ली की यात्रा करनी पड़ी। मुझे टिकट प्राप्त करने में थोड़ी कठिनाई हुई। मेरा सामान बस की छत पर लादा गया। मुझे पश्चिम दिशा की तरफ वाली खिड़की के पास वाली सीट मिली।


सुबह का समय था। मौसम काफी सुहावना था। सूर्य की किरणे पूर्वी दिशा वाली खिड़की की ओर पड़ रही थीं। उस ओर बैठे यात्री गर्मी अनुभव कर रहे थे जबकि हम पश्चिमी खिड़की की ओर काफी आरामदेह महसूस कर रहे थे। बस सड़क पर सामान्य गति से चल रही थी। 


कभी-कभी इसे विपरीत दिशा से आती बस को पार करना पड़ता था। सड़क पतली थी, इसलिए इसे सड़क से उतरना भी पड़ता था, जिससे काफी धूल उड़ती थी जिसकी वजह से हमारा चेहरा और कपड़े धूल-धुसरित हो गए थे।


बस अम्बाला दोपहर के दो बजे पहुंची। वहाँ यह लगभग बीस मिनट रुकी। मैंने बस-स्टैंड के एक भोजनालय में खाना खाया और सफर के दौरान पढ़ने के लिए एक पत्रिका खरीद ली। बस सही समय पर चल पड़ी। गर्मी काफी थी। बस जैसे ही आगे बढ़ी, गर्म हवा खिड़की से अन्दर आने लगी। 


अगर हम खिड़की बन्द करते तो साँस लेना कठिन होता था। हम परेशानी में थे किन्तु और कोई उपाय नहीं था। करनाल पहुँचकर मैंने अपने हाथ और चेहरा धोये और एक कप चाय पीकर पुनः तरोताजा हो गया। कुछ ही देर बाद हमने करनाल पीछे छोड़ दिया। 


पानीपत पहुँचने के पहले हमें भीषण तूफान ने आ घेरा। हम लोगों को यात्रा रोकनी पड़ी। इस तरह के भीषण तूफान में बस चलाना कठिन था। तूफान लगभग दो घण्टे तक रहा, फिर यह रुक गया। बस पुनः चलने लगी।


अब यह अविराम चलने लगी। तूफान के बाद मौसम कुछ ठण्डा हो गया था। पहले की तरह अब यात्रा उतनी कष्टकर नहीं थी। मैं रात में दिल्ली पहुंचा। मैंने यह निश्चय किया कि पुनः बस की यात्र नहीं करूँगा। किन्तु बहुत सारे लोग रेलगाड़ी की अपेक्षा बस की यात्रा करना पसन्द करते हैं। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।