नदी के किनारे एक शाम का दृश्य हिंदी निबंध | Nadi ke Kinare ek shaam ka drishya

 

नदी के किनारे एक शाम का दृश्य हिंदी निबंध | Nadi ke Kinare ek shaam ka drishya


नमस्कार  दोस्तों आज हम नदी के किनारे एक शाम का दृश्य इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। नदी प्रकृति की एक बहुत ही सुंदर रचना है। बहती हुई नदी मन को मुग्ध कर देती है। मेरा गाँव चित्रावती नदी के किनारे बसा हुआ है। 


यह नदी बारहों महीने पानी से भरी रहती है। इसलिए नदी-किनारे की शोभा देखने बार-बार वहाँ जाने की इच्छा होती है। सुबह सूर्योदय होने पर नदी के पानी में सोना घुलने लगता है। नदी किनारे की रेत भी चमकने लगती है। गाँव के कुछ लोग रोज सुबह नदी में स्नान करने आते हैं। 


हर-हर गंगे' की ध्वनि नदी की लहरों के साथ गूंज उठती है। नदी-किनारे एक शिवमंदिर है। वहाँ सुबह-शाम आरती होती है। आरती के स्वर वातावरण को भक्ति से भर देते हैं । नदी किनारे के पेड़ों पर पक्षियों की चहचहाहट बड़ी मधुर लगती है। 


दोपहर के समय गाँव के लड़के नदी में नहाते हैं। संध्या के समय पंछियों के कलरव के बाद नदीतट शांत हो जाता है। चित्रावती का किनारा मेरे गाँव की शोभा में चार चाँद लगा देता है। उसके कारण गाँव में कभी पानी की कमी नहीं होती । नदी के पानी से खेतों की सिंचाई होती है। पशु-पक्षी उसी का जल पीते हैं। 


गर्मी के दिनों में नदी में बहते पानी के कारण गाँववालों को बड़ी राहत मिलती है। इसके किनारे के वृक्षों की शीतल छाया लोगों को बड़ा सुख देती है। नदी में नौकाविहार के आनंद का तो कहना ही क्या!


दुर्भाग्य से कुछ लोग नदी एवं नदीतट की स्वच्छता का महत्त्व नहीं समझते । नदीतट पर कपड़े-बर्तन धोने एवं जानवरों को नहलाने आदि कामों से नदी का पानी दूषित होता है। कुछ छोटे-मोटे कारखाने अपनी गंदगी नदी में बहा देते हैं। इससे नदी का जल प्रदूषित हो जाता है। 


प्रदूषित पानी का उपयोग करने से बीमारियाँ फैलती हैं। सचमुच, नदी के किनारे प्रकृति के मनोरम रूप के दर्शन होते हैं। हमें नदी के जल को प्रदूषण से बचाना चाहिए और नदी-तट को साफ-सुथरा रखना चाहिए। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।