नदी-किनारे एक घंटा हिंदी निबंध | Nadi Kinare ek ghanta nibandh in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम नदी-किनारे एक घंटा इस विषय पर निबंध जानेंगे। कुछ दिन पहले मैं अपने गाँव गया था। मेरा गाँव नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है। एक दिन शाम को मैं अपने मित्रों के साथ नदी किनारे की सैर करने गया।
उस समय सूरज पश्चिम दिशा में डूबने की तैयारी कर रहा था। उसकी मंद किरणें नदी के पानी पर गिर रही थीं। उनके कारण नदी का पानी रंगीन दिख रहा था। नदी पर बहती हुई ठंडी हवा बड़ी सुखद लग रही थी। वातावरण शांत और मनोहर था। नदी की धारा कलकल करती हुई बह रही थी। वह बहुत आकर्षक लग रही थी।
नदी के किनारे खड़े वृक्षों पर अलग तरह का संगीत था । पक्षी अपने-अपने घोंसलों में लौट रहे थे। पक्षियों के बच्चे चहक रहे थे। उनका कलरव कानों को मधुर लग रहा था।
चरवाहे अपने जानवरों के साथ घर लौट रहे थे। कुछ जानवर नदी के किनारे पानी पी रहे थे। चरवाहे किनारे पर हाथ-मुँह धो रहे थे। नदी के ठंडे जल का स्पर्श उनकी सारी थकान दूर कर रहा था।
हम सब नदी के किनारे ठंडी रेत में बैठ गए। बैठे-बैठे रेत से खेलने लगे। हमने रेत से कई मूर्तियाँ बनाईं और बिगाड़ी। वहाँ मल्लाहों के कुछ बच्चे खेल रहे थे। हमारे मूर्तियाँ बनाने के खेल में उन्होंने बड़ी दिलचस्पी दिखाई। हमने नदी-किनारे कुछ गीत गाए।
अब अँधेरा बढ़ता जा रहा था। हम सब वहाँ से चल पड़े। नदी किनारे बिताया हुआ वह एक घंटा आज भी मेरे मन को खुशी से भर देता है। गाँव जाने की इच्छा एक बार फिर मन में जाग उठती है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।