पतंग की आत्मकथा निबंध | Patang ki atmakatha essay in hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम पतंग की आत्मकथा इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। यंत्रों की सहायता से विमान आकाश में उड़ता है। पक्षी अपने पंखों की मदद से आकाश में उड़ते हैं। परंतु मैं तो बिना यंत्र अथवा पंखों के ही गगनविहार करती हूँ। जानते हो, मैं कौन हूँ? जी हाँ, मैं पतंग हूँ।
मेरा जन्म एक झोंपड़ी में हआ था। उसमें एक आदमी अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहता था। वह आदमी रोज रंग-बिरंगे कागज ले आता था और उनके छोटे-बड़े कारटुकड़ काटता था। बाद में वह प्रत्येक टकडे पर एक खास तरीके से बॉस की तीलियाँ चिपकाता था।
उसकी पत्नी और बच्चे इस काम में उसकी मदद करते थे। इसी तरह एक दिन मेरा जन्म हुआ। मैंने देखा कि मेरे साथ मेरी बहुत-सी बहनें भी थीं । एक दिन वह आदमी हम सबको शहर ले गया। वहाँ उसने हमें एक दूकानदार को बेच दिया।
दूसरे दिन एक लड़का उस दूकान से बहुत सारी पतंगें खरीद कर ले गया। उनमें मैं भी थी। घर जाकर उसने हम सबके गले में छेद किए और फिर एक-एक मजबूत धागा बाँध दिया। कुछ देर के बाद वह हमें लेकर छत पर पहुँच गया। वहाँ मुझे कुछ अजीब-सा अनुभव हुआ।
मैं हवा के साथ खेल रही थी। वह लड़का मुझे बार-बार झटके दे रहा था। हर झटके के साथ मैं ऊपर उठती जाती थी। आखिर मैं आकाश में बहुत ऊँचाई पर पहुंच गई। पहले तो कुछ डर-सा लगा लेकिन फिर मुझमें हिम्मत आ गई। आकाश में अपनी बहुत-सी बहनों को देखकर मुझे बड़ी खुशी हुई।
अब आकाश में उड़ने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था। इतने में मेरी एक दूसरी बहन मेरे पास आई । मुझे लगा कि वह मुझसे कुछ बात करना चाहती है। परंतु उसने तो मुझे जोर की टक्कर मारी। उसने मेरा माँझा काट डाला। मैं असहाय होकर नीचे गिरने लगी। अंत में मैं एक पेड़ की डालियों में अटक गई।
तब से मैं यहाँ पर लटकी हुई हूँ। धूल और तेज हवा के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा है। कहाँ गगनविहार करनेवाली मैं और कहाँ आज इस दुर्दशा में पड़ी हुई मैं ! हाय रे, यह विचित्र जीवन ! अब तो बस यही इच्छा है कि किसी तरह इस कैद से छुटकारा पाऊँ । हे ईश्वर ! अब तू ही मेरा बेड़ा पार लगाना। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।