प्रदुषण की समस्या पर हिंदी निबंध | Pradushan Ki Samasya Par Hindi Nibandh
नमस्कार दोस्तों आज हम प्रदुषण की समस्या इस विषय पर निबंध जानेंगे। दूषण की समस्या ने आज गंभीर रूप धारण कर लिया है। जल-प्रदूषण, वायु-प्रदूषण तथा ध्वनि-प्रदूषण इसके अलग-अलग रूप हैं।आदमी की जिंदगी इससे खतरे में आई है। इन सारे रूपों का मिलकर प्रदूषण की समस्या ने भीषण स्वरूप धारण कर लिया है। आदमी की जिंदगी इससे खतरे में आई है।
पीने के लिए आज शुद्ध जल नहीं मिल रहा है। कल-कारखानों से निकले रसायन मिश्रित गंदे पानी के कारण शुद्ध जल नहीं मिल पाता। गंदे नालियों का पानी भी नदी, तालाब तथा समुद्र में जा मिलता है। इससे जल-प्रदूषण की समस्या और भी गंभीर बन गई है।
प्रदूषित अशुद्ध पानी के कारण ही अनेक गंभीर रोगों के जंतुओं का प्रादुर्भाव होता है। पानी के द्वारा ही अनक संक्रामक रोगों का फैलाव होता है।हवा में कार्बन डाय ऑक्साईड की मात्रा बढ़ रही है। इससे ओझोन वायू की पर्त नष्ट हो रही है।
सूर्यकिरणों से निकली गर्मी को ओझोन कम कर देता है। अब ओझोन की कमी के कारण धरती का तापमान दिनोंदिन बढता जा रहा है। ऋतु-चक्र पर इसका बुरा असर होकर उसका परिवर्तन-चक्र गडबडा रहा है। वनों की कटाई के कारण वर्षा भी कम होने लगी है।
बड़े-बडे यंत्रों की बेशुमार ध्वनि, मोटरों के हॉर्न, लाउडस्पीकर आदि के कारण रात दिन शोर ही शोर सुनाई देता है। इससे ध्वनि-प्रदूषण को बढावा मिल रहा है। ध्वनि-प्रदूषण के कारण रक्तचाप, बहरापन, अनिद्रा, हृदयविकार जैसी बीमारियों में वृद्धि हो रही है। मनुष्य की कार्यक्षमता पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
औद्योगिकरण तथा बढ़ती आबादी सभी प्रकार के प्रदूषणों का मूल कारण है। आवास तथा इंधन की सुविधा के लिए जंगल के जंगल काटे जा रहे है। धरती की हरियाली का आच्छादन नष्ट हो रहा है। इससे बारिश की मात्रा कम हो गई है। प्रदूषण एक विश्वव्यापी समस्या है।
इस समस्या को पूर्ण रूप से सुलझाना वैसे तो कठिन कार्य है। लेकिन इसकी मात्रा अवश्य कम की जा सकती है। प्रदूषण को कम करने में वृक्ष हमारी सर्वाधिक सहायता कर सकते हैं। अत: हमे वृक्षारोपण को सर्वाधिक महत्त्व देना चाहिए। यांत्रिकीकरण की गति पर रोक लगाया जा सकता है।
बढती जनसंख्या पर रोक लगाना भी एक महत्त्वपूर्ण उपाय है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि प्रदूषण के दुष्परिणामों के प्रति लोगों को सावधान किया जाए। प्रदूषण के विरुद्ध उपाय करना प्रत्येक व्यक्ति, समाज तथा सरकार का दायित्व है।
इस समस्या के प्रति उपेक्षा हमारे जीवन एवं अस्तित्व के लिए संकट उत्पन्न कर देगी। यदि समझदारी और सावधानी बरती जाए तो कुछ हद तक इस समस्या को हम सुलझा सकते हैं। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।