वर्षा ऋतु पर निबंध | Rainy Season Essay in Hindi

 

वर्षा ऋतु पर निबंध | Rainy Season Essay in Hindi 

नमस्कार  दोस्तों आज हम वर्षा ऋतु इस विषय पर निबंध जानेंगे। भारत विभिन्न छह ऋतुओं का देश है। इस लेख मे कुल 3 निबंध दिये गये हे जिन्‍हे आप एक -एक करके पढ सकते हे । इनमें वसंत को ऋतुराज और वर्षा को ऋतुरानी कहा जाता है। वर्षा जलरूपी जीवन देनेवाली ऋतु है। भारत जैसे कृषिप्रधान देश के लिए तो वर्षाऋतु सुखसौभाग्य का वरदान है।


वर्षाऋतु से पहले भयानक गरमी पड़ती है। लोग गरमी से परेशान हो जाते हैं। सूर्य की किरणें दिन में अंगारे बरसाती हैं। पानी की प्यास बुझने का नाम ही नहीं लेती। पानी की कमी से लोगों में हाहाकार मच जाता है। लोग बड़ी आशा से आकाश की ओर ताकते हैं और वर्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।


प्रायः आषाढ़ का महीना लगते ही वर्षा के आने की आहट मिलने लगती है। आकाश में काले-काले बादल देखकर लोग खुशी से नाच उठते हैं। बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की कड़कड़ाहट उन्हें प्रिय लगती है। वर्षा की पहली फुहार लोगों को बाग-बाग कर देती है। 


धीरे-धीरे वर्षा का रिमझिम संगीत शुरू हो जाता है। सारा ताप, सारी आकुलता शांत हो जाती है। लोग हर्षविभोर होकर वर्षारानी का स्वागत करते हैं। वर्षा के कारण वातावरण शीतल और सुखद बन जाता है। वर्षा की अमृत जैसी बूंदों के स्पर्श से धरती से सोंधी गंध उठने लगती है। 


पेड़-पौधे हरे-भरे होने लगते हैं। नदी-नाले, तालाब, पोखर पानी से छलक उठते हैं। चारों ओर हरियाली ही हरियाली छा जाती है। धरती पर हरी घास का गलीचा बिछ जाता है। पशु हरी दूब बड़े चाव से खाते हैं। आम की डाल पर बैठकर कोयल कूकने लगती है। जलाशयों के किनारे मेढ़क टरटराते हैं। 


वनों-बागों में मोर पंख फैलाकर मनोहर नृत्य करता है। पपीहे की पिऊ-पिऊ से अमराई गूंज उठती है। इंद्रधनुष की छटा देखते ही बनती है। वर्षाऋतु आनंद एवं उल्लास की ऋतु है। गाँवों की चौपालों में कजरी और मल्हार के रूप में आनंद बरसता है। 


बच्चे बहते हुए पानी में कागज की नावें तैराते हैं। लड़कियाँ पुलकित होकर झूले झूलती हैं। किसान खुश होकर खरीफ की फसल के लिए जुताई-बोवाई में लग जाते हैं। १५ अगस्त, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी तथा गणेशोत्सव जैसे पर्व वर्षाऋतु के आनंद में चार चाँद लगा देते हैं। 


वर्षा कवियों तथा कलाकारों की प्रिय ऋतु है ! चित्रकार वर्षाऋतु के मनोहर दृश्यों के चित्रांकन में डूब जाते हैं।कभी-कभी अतिवृष्टि के कारण इस ऋतु में नदियों में भयानक बाढ़ आ जाती है। बाढ़ से फसलें नष्ट हो जाती हैं, 


झोपड़े और कच्चे मकान धराशायी हो जाने से बहुत से लोग बेघर हो जाते हैं। जानमाल का भारी नुकसान होता है। रास्ते टूट जाने से यातायात ठप हो जाता है। इस ऋतु में मलेरिया जैसी बीमारियाँ भी फैलती हैं। फिर भी, वर्षाऋतु का महत्त्व कभी कम नहीं हो सकता। जीवनरूपी जल देनेवाली वर्षाऋतु के उपकारों को हम कैसे भूल सकते हैं!दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।

 निबंध 2

 वर्षा ऋतु पर निबंध | Rainy Season Essay in Hindi 

हमारे देश में वर्ष की छह ऋतुएँ होती हैं। वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर । प्रत्येक ऋतु की अपनी विशेषताएँ हैं। वर्षा हमारे देश की मुख्य ऋतु है।


वर्षा ऋतु के पहले ग्रीष्म ऋतु होती है। इस ऋतु में खूब गरमी पड़ती है। तेज धूप असह्य हो जाती है। जमीन आग पर रखे तवे की तरह जलती है। प्यास बुझने का नाम नहीं लेती। गरमी के कारण मनुष्य, पशु-पक्षी और सभी प्राणी बेचैन हो जाते हैं। 


नदियाँ, तालाब आदि जलाशय प्रायः सूख जाते हैं। ऐसे समय वर्षा ऋतु वरदान बनकर आती है। आषाढ़ का महीना लगते ही आकाश में काले बादल उमड़ने लगते हैं। बादल गरजते हैं। बिजली चमकती और कड़कती है।


वर्षा की पहली फुहार से सब प्राणियों को बड़ी राहत मिलती है। किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। वनों-बागों में मोर नाचने लगते हैं। पपीहे की 'पिऊ-पिऊ' और मेढकों की 'टर्र-टर्र' से वातावरण गूंज उठता है। वर्षा ऋतु में कभी धीमी, तो कभी मूसलाधार बारिश होती है। 


कभी कई-कई दिनों तक सूर्यदेवता के दर्शन ही नहीं होते। चारों तरफ पानी-ही-पानी हो जाता है। नदी, नाले, तालाब आदि जलाशय छलकने लगते हैं। बरसात के कारण चारों ओर हरियाली छा जाती है। पेड़-पौधे झूम उठते हैं। 


वर्षा ऋतु हमें जल देती है। वर्षा के कारण अच्छी फसलें होती हैं। वन-बाग, खेत-मैदान आदि को वर्षा ही हरा-भरा बनाती है।रक्षाबंधन, गणेशोत्सव जैसे पर्व वर्षा के आनंद को और बढ़ा देते हैं। पंद्रह अगस्त का राष्ट्रीय पर्व भी वर्षा ऋतु में ही आता है।


फिर भी, वर्षा ऋतु आनंद-मंगल की ऋतु है। वर्षा प्राणियों के लिए प्रकृति का सबसे बड़ा उपकार और उपहार है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए । और आगे दिया हुआ दूसरा निबंध पढ़ना मत भूलियेगा धन्यवाद  ।

 निबंध 3

 वर्षा ऋतु पर निबंध | Rainy Season Essay in Hindi 


मोटे तौर पर कहा जाए तो एक वर्ष में चार मौसम होते हैं-ग्रीष्म, वर्षा, शीत और बसन्त । ग्रीष्म ऋतु का अर्थ गर्मी का मौसम होता है। वर्षा ऋतु ग्रीष्म ऋतु की गर्मी के बाद बारिश लाती है। तब ठंडे महीनों का शीत ऋतु आता है। इसके बाद बसंत आता है, जब पेड़ों से पुरानी पत्तियों का झड़ना और नई पत्तियों का निकलना शुरू होता है।


हालांकि शहरों में लोग वर्षा ऋतु को पसन्द नहीं करते हैं, किन्तु किसानों के लिए यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। शहरों में यह ग्रीष्म ऋतु की गर्मी से राहत दिलाती है, ग्रामीणों और किसानों के लिए यह वरदान है क्योंकि उनकी फसल इसी पर निर्भर करती है। 


शहरी लोग इसे पसन्द नहीं करते हैं, किन्तु गाँवों में रहने वाले किसानों के लिए यह खुशहाली का अग्रदूत है। वर्षा अच्छी फसल के लिए आशा की किरणों का संदेशवाहक है। वर्षा ऋतु एक मिश्रित वरदान है। यदि वर्षा अच्छी होगी तो फसल अच्छी होगी और भरपूर अनाज, जानवरों के लिए अधिक चारा तथा देश के लिए दुध का अधिक उत्पादन होगा। 


चारों तरफ हरियाली होगी और बंजर तथा सूखी भूमि हरी घासों से ढंक जाएगी। सिंचाई के लिए पानी की कोई कमी नहीं होगी। तालाब, झील, नदी इत्यादि पानी से भरे होंगे, जिससे नदियों में मछलियां भी बहुत होंगी। बंगाली लोग प्रसन्न होते हैं क्योंकि वे मछली खाते हैं। 


गर्मी से राहत पहुँचाने के अलावा वर्षा ऋतु देश की खाद्य समस्या के समाधान में एक हद तक मदद पहुँचाती है।
भारत में लोग वर्षा ऋतु का बहुत आनन्द उठाते हैं। लोग इस ऋतु में पिकनिक का आयोजन भी करते हैं। वे किसी बाग में जाते हैं। जहाँ उन्हें खूब सारे आम मिलते हैं। 



वे दूध की भी व्यवस्था करते हैं। ये दोनों चीजें वे हृदय की संतुष्टि के लिए वहाँ लेते हैं और इस पौष्टिक मिश्रण से अपने-आपको शक्तिशाली महसूस करते हैं। बच्चे कागज की नाव बना कर तैराने और एक-दूसरे पर पानी छिड़कने का आनन्द लेते हैं वे वर्षा के पानी में नहाकर ताजगी अनुभव करते हैं। 


महिलाओं का इस मौसम का आनन्द उठाने का अपना अलग तरीका है। वे एक स्थान में जमा होकर झूला-झूलती हैं तथा संगत में गीत या लोकगीत गाती हैं। हरियाली की पृष्ठभूमि में, जब हल्की बूंदा बांदी होती है, उनके गीत स्वयं में मनोहरी होते हैं और उनकी प्रसन्नता एवं उल्लास की कोई सीमा नहीं होती। 


किन्तु कभी-कभी वर्षा ऋतु एक भयानक दृश्य भी उत्पन्न करती है। रात में बादलों का गर्जन, बिजली का चमकना तथा गहरे काले बादलों द्वारा आसमान को ढंकना हमारे रोंगटे खड़े कर देता है। जब प्रचण्ड या मूसलाधार वर्षा होती है, तो यह कयामत के दिन जैसी अशुभ लगती है। 
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बाढ़ इस देश की विभिन्न भागों की आम घटना है। इससे फसलों, मनुष्यों तथा जानवरों के जीवन का काफी नुकसान होता है। बाढ़ से घर ढह जाते हैं, जिससे इसके अन्दर रहने वाले पुरुषों, महिलाओं तथा बच्चों की जानें चली जाती है। फसलें बर्बाद हो जाती हैं। यातायात में रुकावट पैदा होती है। 


दूरसंचार व्यवस्था ठप्प हो जाती है। एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए कोई संचार माध्यम नहीं रह जाता है। फसलों के भारी नुकसान और बर्बादी से देश में खाद्यान्न की कमी हो जाती है, जिससे लोग इस मौसम को कोसते रहते हैं। इस प्रकार वर्षा ऋतु, ग्रीष्म ऋतु की गर्मी से परेशान लोगों को राहत पहुँचाती है। 


कभी-कभी यह कुछ लोगों के लिए अभिशाप बन जाती है और जितनी क्षति उन्हें बाढ़ से हुई है, वे उसे उतना ही कोसते हैं। इस ऋतु में कई तरह के विषैले कीड़े पैदा हो जाते हैं, जो जीवन को नरक बना देते हैं। विद्यार्थियों के लिए भी यह ऋतु उनकी पढ़ाई के अनुकूल नहीं होती है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए