सादा जीवन उच्च विचार पर हिंदी निबंध | Sada jivan uch vichar Nibandh

 

सादा जीवन उच्च विचार पर हिंदी निबंध | Sada jivan uch vichar Nibandh


नमस्कार  दोस्तों आज हम सादा जीवन उच्च विचार इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। "सादा जीवन उच्च विचार" की अवधारणा व्यक्तित्व विकास तथा सहयोग का परिचायक है। विश्व इतिहास की अधिकांश महान् हस्तियों ने इस सिद्धान्त को पूरी तरह से अपना कर ही महानता प्राप्त की थी। 


महात्मा गाँधी, गुरु नानक और भगवान बुद्ध जैसे सभी महापुरुष, जिन्होंने आध्यात्मिक महानता प्राप्त करके अपनी बौद्धिक विचारधारा से विश्व को झकझोर दिया था, इस सिद्धान्त के उदाहरण हैं।


अनादि काल से विश्व के हर भाग के विचारकों ने सादे जीवन और उच्च विचार की महत्ता पर बल दिया। उनका यह परामर्श इस बात पर आधारित है कि मानव की माँगें असीमित हैं यदि उनकी पूर्ति करके लगातार उन्हें उत्तेजित किया जाएगा तो इनका कभी अन्त नहीं होगा। 


एक माँग की पूर्ति होने पर दूसरी माँग पैदा होती रहेगी। ये मनुष्य को भौतिक उपलब्धियों का दास बना देंगी। इनसे मनुष्य का ध्यान उच्च चिन्तन से हट कर भौतिक साधनों की प्राप्ति के संकीर्ण चक्कर में उलझा रहेगा। 


इससे जीवन के उन उच्च आदर्शों के प्रति उसकी निष्ठा और एकाग्रता पर बुरा प्रभाव पड़ेगा जो आत्मिक तथा लोककल्याणकारी विकास कार्यों के लिए अनिवार्य हैं।


विभिन्न राष्ट्रों की प्रतिद्वंद्विता के कारण इस परमाणु युग में सादा जीवन और उच्च विचार के आदर्शों के बीच का सामंजस्य बिगड़ गया है। बहुत से विचारक यह समझते हैं कि मानवता की सेवा के लिए सादे जीवन के बजाय अच्छा रहन-सहन होना अधिक सहायक है।


विचारों की पवित्रता के सामने सभी नतमस्तक हो जाते हैं। इतिहास इस बात का गवाह है कि महात्मा गाँधी हमेशा धोती ही पहनते थे फिर भी उन्होंने अपने गतिशील विचारों से विश्व भर को झकझोर दिया था। इसी प्रकार से जवाहरलाल नेहरू, अब्राहम लिंकन, आइंस्टीन और अल्बर्ट बर्टेण्ड रस्सेल ने यह सिद्ध कर दिया था कि सादा जीवन बिताते हुए समाज की सेवा करना महानता प्राप्त करने का बेहतर तरीका है।


मानव के इतिहास में बहुत से अन्य उदाहरण भी हैं जिनसे यह सिद्ध किया जा सकता है कि सादा जीवन और उच्च विचारों का सिद्धान्त बेहतर है। गुरुनानक कबीर और विनोबा भावे जीवन की इस पद्धति के अन्य उदाहरण हैं। 


इन महान् व्यक्तियों ने अपना जीवन सामान्य तरीके से बिताया था फिर भी वे दार्शनिकों, कवियों और मार्गदर्शकों के रूप में लोगों की पूजा के पात्र बने। उन्होंने सत्य के प्रति अपनी दृढ़ निष्ठा, मानव-मात्र के प्रति स्नेह तथा समाज की भलाई करके साधारण जनता के विचारों और जीवन को ऊपर उठाया और न केवल आध्यात्मिक क्षेत्रों में बल्कि सांसारिक कार्यों में भी जनसाधारण से महान कार्य करवाये और उन्हें सफलतापूर्वक


जीवन बिताने के लिए उनका मार्गदर्शन किया। आज के समय में भी बाबे आम्टे, सुन्दरलाल बहुगुणा मेघापाटेकर जैसी विभूतियों ने सादा जीवन और उच्च विचार का सिद्धांत अपनाकर मानव की अगाध सेवा की है।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।