संयुक्त परिवार की आवश्यकता हिंदी निबंध | Sanyukt Parivar Ki Avashyakta Essay In Hindi

 

 संयुक्त परिवार की आवश्यकता हिंदी निबंध | Sanyukt Parivar Ki Avashyakta Essay In Hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम संयुक्त परिवार की आवश्यकता इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे।  आज विभक्त परिवारों का युग है। छोटा परिवार सुखी परिवार माना जाता है। पति-पत्नी और एक-दो बच्चे वाला विभक्त, छोटा परिवार ही आज का आदर्श बन गया है।


एक समय था जब लोग संयुक्त परिवार में रहते थे। संयुक्त परिवार में माता-पिता के अतिरिक्त दादा-दादी, चाचा-चाची तथा उनकी संतानें भी होती थीं। सब लोग मिल-जुलकर परिवार की जिम्मेदारियाँ सँभालते थे। परिवार को बड़े-बुजुर्गों की छत्रछाया मिलती थी। घर के झगड़े घर में ही सुलझा लिए जाते थे।


आज के विभक्त परिवार छोटे भले हों, पर उनकी समस्याएँ बड़ी हैं। मामूली बातों को लेकर पति-पत्नी में ठन जाती है। उनमें आए दिन झगड़े होते रहते हैं। इनके कारण घर की सुख-शांति भंग हो जाती है। घर में कोई बुजुर्ग न होने से उन्हें समझाने वाला कोई नहीं होता। आखिर तलाक तक नौबत आ जाती है।


एकल कुटुंब में कमाने की जिम्मेदारी प्राय: पति की होती है। यदि पति बीमार हो गया या उसकी नौकरी छूट गई तो परिवार मुसीबत में पड़ जाता है। खाने-पीने के लाले पड़ जाते हैं। बच्चों की परवरिश और पढ़ाई-लिखाई पर बुरा असर पड़ता है। संयुक्त परिवार में ऐसी स्थिति नहीं आती।


महँगाई के इस जमाने में केवल पति की कमाई से घर नहीं चल सकता। कमाने के लिए पत्नी को भी घर से बाहर जाना पड़ता है। बच्चे घर में अकेले रह जाते हैं। वे टी. वी. देखने में व्यस्त रहते हैं। इससे उनका समय भी नष्ट होता ही है, उनके चरित्र पर भी असर पड़ता है। माता-पिता की अनुपस्थिति में वे बुरी संगति में पड़ जाते हैं और बुरी आदतें सीखते हैं।


एकल परिवारों की यह स्थिति हमारे समाज को पतन की ओर ले जा रही है। ऐसा लगता है कि संयुक्त परिवार की जितनी आवश्यकता आज है, उतनी पहले कभी नहीं थी। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।