शैक्षिक भ्रमण हिंदी निबंध | Shaikshanik Bhraman Essay In Hindi
नमस्कार दोस्तों आज हम शैक्षिक भ्रमण इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। यात्राएँ शिक्षा के साधन के रूप में सभ्यता जितनी ही पुरानी हैं। हम यह अक्सर पढ़ते हैं कि विदेशी पर्यटक भारत के पुरातन स्थानों पर अध्ययन के लिए आ रहे हैं।
यूरोप के मध्यकाल के विद्वान अपनी शिक्षा की प्यास बुझाने के लिए यूनान और इटली की यात्रा किया करते थे। विश्व के अधिकांश धर्म अपनी प्रगति का श्रेय मिशनरी यात्रियों को देते हैं। शैक्षिक भ्रमण का आयोजन करना नए युग की उत्पत्ति है।
पूर्वकाल में लोग यात्रा करने से हिचकते थे क्योंकि उस समय कोई कानून व्यवस्था नहीं थी और यात्रा के लिए यातायात व्यवस्था उतनी आरामदेह नहीं थी। विज्ञान के प्रसार से यात्रा करने का विचार बढ़ा है। विकसित देशों में उस शिक्षा को सम्पूर्ण नहीं माना जाता था जिसमें एक साथ कई देशों के लोग एक साथ न पढ़े।
भारत सरकार ने अपने देश को जानो' नामक एक योजना शुरू की है इसके अन्तर्गत हजारों छात्र और शिक्षक प्रत्येक वर्ष देश के चारों ओर शिक्षा के भिक्षु के रूप में भ्रमण करते हैं। यात्राएं शिक्षा का व्यावहारिक रूप हैं। किताबों से हमें सिर्फ दूसरों द्वारा अर्जित ज्ञान पढ़ने को मिलता है।
यात्राएँ हमारे किताबी ज्ञान को बढ़ाती हैं क्योंकि हम जिस किसी के बारे में जानना चाहते हैं उसके सीधे सम्पर्क में आते हैं। एक महीने के भ्रमण से हमें दूरस्थ राज्यों के बारे में जो ज्ञान प्राप्त होता है उसकी बराबरी सैकड़ों इतिहास और भूगोल की पुस्तकों से नहीं की जा सकती है।
अजन्ता की गुफाओं या माउण्ट आबू या न्याग्रा जलप्रपात के भ्रमण से प्राप्त ज्ञान इनके बारे में पढ़ने की अपेक्षा दस हजार गुणा ज्यादा होगा। राहुल सांस्कृत्यायन ने अपनी अथक यात्राओं से मानव को ज्ञान कई अनछुए पहलुओं से अवगत कराया।
यात्रा अनुशासन की महान पाठशाला है। हमें ज्ञान देने के साथ-साथ यह हमारे दृष्टिकोण को बढ़ाती है और मस्तिष्क को समृद्ध बनाती है तथा हममें पूछताछ करने की जागरूकता पैदा करती है। कुँए के मेढ़क की तरह घर में रहने वाले व्यक्ति का विश्व के बारे में ज्ञान अल्प रहता है।
यात्रा करने वाले को विभिन्न स्वभाव, आदत और रीतियों के व्यक्तियों से मिलने का मौका मिलता है। इससे उसे अनुभव और विवेक प्राप्त होता है। वह उदार विचारों वाला हो जाता है। वह अपनी जिन्दगी के स्तर का दूसरों से तुलना कर बढ़िया निर्णय कर सकता है।
इस मामले में शिक्षाप्रद भ्रमण अन्तर्राष्ट्रीय और अन्तर्राज्यीय सद्भावना और सहानुभूति को बढ़ाती हैं। भारत जैसे देश में यात्रा से एकता की भावना बढ़ेगी। किन्तु इन सभी लाभों को प्राप्त करने के लिए यात्रियों का मस्तिष्क खुला होना, आँखों में गहरी अवलोकन शक्ति और एक दयालु हृदय होना चाहिए।
इसके बिना विश्व यात्रा से कुछ लाभ नहीं है।शिक्षाप्रद भ्रमण आयोजित करने वालों का यह कर्त्तव्य है कि वह इसमें भाग लेने वालों को कुछ शिक्षा दें ताकि इस भ्रमण का पूरा लाभ प्राप्त किया जा सकें। हम तीर्थ यात्रा के लिए धार्मिक स्थानों पर जाते हैं
किन्तु हमें भाखरा बाँध, भिलाई, ट्राम्बे, चित्तरंजन और राणा प्रताप सागर जैसे शिक्षा के नए मंदिर को नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि जहाँ मनुष्य मानवता की भलाई का कार्य करते हैं, वही सबसे बड़ा मंदिर है।यह बहुत ही अच्छी बात है कि सरकार और लोगों द्वारा शिक्षाप्रद भ्रमण के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
भारी संख्या में लोग देश-विदेश भ्रमण कर रहे हैं। एकता और सद्भाव . के लिए यह आवश्यक है कि ऐसे भ्रमण पर सभी प्रकार के प्रतिबन्ध खत्म कर देने चाहिए। एक शांतिमय विश्व निश्चित रूप से मुक्त यात्रा का एक संसार होगा।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।