यदि मैं डॉक्टर होता पर निबंध | yadi main doctor hota essay in hindi

 

यदि मैं डॉक्टर होता पर निबंध | yadi main doctor hota essay in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज यदि मैं डॉक्टर होता इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। हिपोक्रिटीस और चरक के समय से अब तक चिकित्सा शास्त्र को सबसे उत्कृष्ट व्यवसायों में से एक माना जाता रहा है जिसकी अभिलाषा किसी भी व्यक्ति को हो सकती है।


इससे निर्धन और लाचार लागों की सेवा करने का अवसर मिलता है। इससे अपनी घर-गृहस्थी को चलाने के लिए पर्याप्त धन भी प्राप्त हो जाता है। परन्तु आजकल, हम देखते है कि चिकित्सा के श्रेष्ठ व्यवसाय और इसकी प्रतिष्ठा में कमी होती जा रही है। 


हमारे बड़े-बड़े चिकित्सा महाविद्यालयों से लगातार शिक्षा प्राप्त युवा डाक्टरों के निकलने के बावजूद अभी भी हमारे गाँवों में इनकी बहुत कमी है। 


गाँवों के लोग नीम-हकीमों और देशी चिकित्सा पद्धति के बिना प्रशिक्षण प्राप्त चिकित्सकों की दया पर निर्भर रहते हैं क्योंकि प्रशिक्षित डॉक्टर पढ़ाई के लिए और चिकित्सा कार्य करने के लिए विदेशों में जाने को उत्सुक रहते हैं।


यदि मैं डाक्टर बन जाऊँ तो मैं निर्धनों की सेवा के लिए किसी गाँव में बस जाऊँगा। मैं सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र में कार्य करने को प्राथमिकता दूंगा और अपना सारा समय और शक्ति रोगियों की देखभाल पर लगाऊँगा। मैं धन के पीछे नहीं भागूंगा। 


मैं न अनुचित तरीकों का प्रयोग करूँगा और न अपने रोगियों का शोषण करूँगा। उनके दुःख के समय, जितना भी मुझसे सम्भव हो सकेगा, मैं उन्हें सर्वोत्तम चिकित्सा प्रदान करने का प्रयास करूंगा। इस प्रकार मैं दिन-रात अपने निर्धन भाईयों के लिए उपयोगी बनने के अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा कर सकूँगा।


मै, विश्व भर में चिकित्सा के क्षेत्र में किये गये आधुनिक अनुसन्धानों और विकास की जानकारी भी प्राप्त करता रहूँगा, विशेष रूप से तीसरी दुनिया के देशों के बारे में, क्योंकि हम सबकी समस्याएँ और बीमारियों के लक्षण एक जैसे हैं। यदि हम मानवता के इन दो-तिहाई लोगों के कष्टों पर निःस्वार्थ रूप से ध्यान देंगें तो हम सम्पूर्ण विकास के हित में महान सेवा करेंगे।


मैं किसी महिला डाक्टर से विवाह करने को प्राथमिकता दूँगा, क्योंकि स्त्रियों की चिकित्सा करने में वह मेरी सहायता कर सकेगी। वह, मेरे मनपसन्द व्यवसाय के प्रति मेरी निष्ठा और एक निष्ठावान डाक्टर को समय-असमय पर कार्य करने की समस्या को समझ सकेगी और इसकी कद्र कर सकेगी। 



किसी अन्य व्यवसाय में लगी स्त्री इस बात को नहीं समझ पायेगी और आवश्यक सहयोग नहीं दे सकेगी। इस प्रकार हम गाँववासियों की समस्याओं और दुःख-दर्द के कार्य में जुट जायेंगे। यह हम दोनों के लिए आत्मसन्तोष की बात होगी। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।